भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बैंकों को निर्देश दिया है वे अपने मोबाइल पेमेंट सर्विस को तब तक के लिए रोक दें जब तक कि रिजर्व बैंक इसके बारे में अपने अंतिम दिशा-निर्देश न जारी कर दें।
आरबीआई ने बयान में कहा है कि हालांकि बैंक सूचना प्रदान करने संबंधी बुनियादी सुविधाएं जैसे क्रेडिट और डेबिट एंट्री के लिए मोबाइल एलर्ट सर्विस या अन्य सेवाएं प्रदान कर सकते है। आरबीआई ने बैंकों को ऐसे मोबाइल आधारित रुपये के स्थानांतरण सर्विस से स्वयं को अलग रखने को कहा है जोकि रिजर्व बैंक द्वारा जारी किए गए दिशा-निर्देशों के अनुरूप नहीं है।
सूत्रों का कहना है कि अभी मौजूदा समय में मोबाइल पेमेंट सर्विसेस संबंधी कोई पुख्ता नियम नहीं है और आरबीआई नहीं चाहता कि बिना किसी उपयुक्त नियम केइस तरह की सुविधओं को जारी रखा जाए। एक अधिकारी ने कहा कि इसमें इतनी जल्दी की क्या जरूरत है जबकि इससे संबंधित नियम कानून जल्द ही लागू होने वाले हैं। रिजर्व बैंक मोबाइल पेमेंट सर्विस से संबंधित नियमों का प्रारूप पहले ही जारी कर चुका है और अब यह अपनी अंतिम चरण में है।
हालांकि रिजर्व बैंक ने इस संबंध में किसी समय सीमा का उल्लेख नहीं किया है। मोबाइल बैंकिंग मार्केट की सबसे बड़ी खिलाड़ी एयरटेल के एक कार्यकारी ने कहा है कि आरबीआई के इस फैसले का हमारी योजनाओं पर कोई असर नहीं पड़ेगा क्योंकि हमलोग किसी भी प्रकार के रुपयों का स्थानांतरण करने की बजाय सिर्फ सूचनाओं का आदान-प्रदान कर रहें हैं। इसी कार्यकारी के एकअन्य सहयोगी ने बताया कि आरबीआई की रोक का असर उन कंपनियों पर पड़ेगा जो रुपयों का स्थानांतरण मास्टर एकाउंट में करते हैं फिर उसके बाद इसका उपयोग पेमेंट करने के लिए करते हैं।
उन्होंने आगे कहा कि हम पूरी तरह रिजर्व बैंक के दिशा-निर्देशों का पालन कर रहें हैं। रिलायंस कम्युनिकेशन ने इस बारे में कुछ भी कहने से मना कर दिया। जहां तक आईसीआईसीआई और एचडीएफसी बैंक की बात है तो वे बिल पेमेंट सर्विस प्रदान करते हैं जबकि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया अपने खाताधारकों को एक साल में एक परिचालन के लिए 5,000 रुपये कैप के साथ 25,000 रुपये तक के मोबाइल पेमेंट ट्रांजैक्शन की छूट देता हैं। एचडीएफसी बैंक के प्रवक्ता ने कहा है कि उन्होंने अभी तक आरबीआई के निर्देशों को नहीं देखा है जबकि आईसीआईसीआई बैंक के प्रवक्ता ने कहा है कि मोबाइल पेमेंट सर्विस संबंधी आरबीआई केनिर्देशों का पालन करेंगे।