मनमोहन सिंह सरकार के विश्वासमत जीतने से भारतीय स्टेट बैंक और आईसीआईसीआई जैसे बड़े बैंकों पर सकारात्मक असर पड़ा है।
सरकार के विश्वासमत जीतने के बाद इन दोनों बैंकों की कर्ज वसूली पर आने वाली लागत कम हो गई है। विश्वासमत जीतने के साथ ही देश में समय से पहले आम चुनाव होने की संभावना भी समाप्त हो गई। माना जा रहा है कि अब सरकार देश में विदेशी निवेश को बढ़ावा देने के लिए नए कानून बनाएगी। इस अटकल से न्यूयॉर्क के बाजार में भी भारतीय कंपनियों के शेयरों के भाव बढ़ गए ।
सिंगापुर में बार्कलेज बैंक के क्रेडिट विश्लेषक जेसन रोजर्स ने बताया, ‘सरकार का स्थिर होना बैंकों के लिए सकारात्मक संकेत है। राजनीतिक अस्थिरता कभी भी बैंकों के लिए अच्छी नहीं होती है। खासतौर पर भारत जैसे देशों में तो बिल्कुल भी नहीं क्योंकि वहां पर लगभग 70 फीसदी बैंकिंग कारोबार सरकार के ही पास है।’ जेपी मॉर्गन चेज ऐंड कंपनी के मुताबिक आईसीआईसीआई बैंक के पांच साल के क्रेडिट डिफॉल्ट स्वैप में 20 आधार अंकों की कमी हुई है और यह अब 345 हो गया है। स्टेट बैंक के क्रेडिट डिफॉल्ट में भी लगभग इतनी ही गिरावट हुई है और यह 230 हो गया है।
आईसीआईसीआई के लगभग 42 करोड़ रुपये के कर्ज को डिफॉल्ट में जाने से बचाने के लिए सालाना खर्च लगभग 1.38 करोड़ रुपये खर्च आता है। क्रेडिट डिफॉल्ट में कमी आने का मतलब है बैंकों पर निवेशकों को भरोसा होना। क्रेडिट डिफॉल्ट स्वैप का इस्तेमाल डिफॉल्ट कर्जों को बचाने के लिए किया जाता है। अगर कोई कर्जदार शर्तों के मुताबिक कर्ज की रकम वापस नहीं करता है तो बैंक को गिरवी रखी संपत्ति के बदले अंकित मूल्य मिल जाता है।
मुंबई में बिड़ला सन लाइफ असेट मैनेजमेंट कंपनी के मुख्य वित्त अधिकारी ए बालसुब्रमण्यम ने बताया, ‘विदेशी निवेशक भारतीय और अमेरिकी बैंकों को एक ही नजर से देखते हैं। हो सकता है कि भारत के सरकारी बैंकों में भी विदेशी हिस्सेदारी को बढ़ाने पर विचार भी किया जाए।’ विदेशी निवेशक अब भारतीय सरकारी बैंकों में ज्यादा से ज्यादा 20 फीसदी हिस्सेदारी ही रख सकते हैं। बीमा कंपनियों के लिए यह आंकड़ा 26 फीसदी है। सरकार की पूर्व सहयोगी कम्युनिस्ट पार्टी ने इसे 49 फीसदी करने का कड़ा विरोध किया था।
देश के केंद्रीय बैंक की बढ़ती महंगाई दर को रोकने की कवायद के चलते ऋण पर ब्याज दर बढ़ने के कारण 8 जुलाई को आईसीआईसीआई बैंक का क्रेडिट डिफॉल्ट स्वैप 384 अंकों तक पहुंच गया था। साल 2004 से लेकर अभी तक यह सबसे ज्यादा था।