कर्ज के बोझ से परेशान जनता को भारतीय रिजर्व बैंक ने तोहफा दे दिया है, जिसके बाद कर्ज सस्ता होने के पूरे आसार हैं।
केंद्रीय बैंक ने आज रेपो दर और रिवर्स रेपो दर में आधा-आधा फीसदी की कमी करने का ऐलान कर दिया।
इस घोषणा के बाद रेपो रेट घटकर 5 फीसदी रह गई है। इसी दर पर आरबीआई बैंकों को कर्ज देता है। रिवर्स रेपो को भी घटाकर 3.5 फीसदी कर दिया गया है। इस दर पर आरबीआई बैंकों से कर्ज लेता है। जाहिर है कि इसके बाद बैंकों पर भी अपनी ब्याज दरों में कटौती करने का दबाव बढ़ जाएगा।
एचडीएफसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘यह कदम उठाया ही जाना था क्योंकि मुद्रास्फीति की दर लगातार कम हो रही है और अटकलें इस बात की भी हैं कि जून के महीने में इसके आंकड़े नकारात्मक हो सकते हैं।
दरों में कटौती होने के बाद बॉन्डों से मिलने वाली प्राप्ति कम हो जाएगी। हमें लगता है कि पखवाड़े भर में कोष की लागत कम हो जाएगी। जब हमारे लिए लागत कम होगी, तो हम आवास ऋण पर ब्याज की दर कम कर देंगे। लेकिन दो-तीन हफ्तों तक हमें हालात पर नजर रखनी होगी।’
ऐक्सिस बैंक के एक अधिकारी ने कहा कि उनका बैंक जल्द से जल्द आवास ऋण का जायजा लेगा। लेकिन प्रधान उधारी दर पर कोई भी टिप्पणी करने से उन्होंने इनकार कर दिया।
20 अक्टूबर के बाद से रेपो रेट में यह पांचवीं कटौती है। लेकिन वैश्विक मंदी का असर सामने आने के बाद से इसमें कुल 4 फीसदी की कटौती की गई है।
सितंबर के बाद से रिजर्व बैंक ने नकद आरक्षित अनुपात में भी 4 फीसदी की कमी की है, जिसकी वजह से बैंकिंग प्रणाली में 1,60,000 करोड़ रुपये पहुंचे हैं। रिजर्व बैंक ने इन कटौतियों के जरिये कुज 3,88,000 करोड़ रुपये बैंकिंग प्रणाली में डाले हैं। यह बात अलग है कि बैंकों ने कर्ज लेने वालों को इसका पूरा फायदा नहीं पहुंचाया है।
रिजर्व बैंक ने रेपो दर 5 फीसदी, रिवर्र्स रेपा 3.5 फीसदी
अक्टूबर 2008 में रेपो दर 9 और रिवर्स रेपो थी 6 फीसदी, तब से अब तक पांचवीं कटौती
सीआरआर में भी अब तक हुई है 4 फीसदी कटौती
यूको बैंक ने प्रधान ऋण दर में कर दी आधा फीसदी कमी