इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च ने भारत के बैंकिंग क्षेत्र के परिदृश्य में बदलाव किया है। एजेंसी ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए बैंकिंग क्षेत्र की रेटिंग को स्थिर से सुधरता कर दिया है,क्योंकि इसकी सेहत दशकों की तुलना में बेहतर है। बैंकिंग क्षेत्र में सुधार की शुरुआत वित्त वर्ष 20 में शुरू हुआ और यह अगले वित्त वर्ष (वित्त वर्ष 23 ) में जारी रहने की संभावना है।
रेटिंग एजेंसी का कहना है कि प्रमुख वित्तीय गणित में वित्त वर्ष 23 में सुधार जारी रहेगा, जिसे मजबूत बैलेंस शीट, कर्ज की मांग बेहतर होने और कॉर्पोरेट कैपेक्स चक्र में संभावित बहाली का लाभ मिलेगा।
नकदी कम होने पर ब्याज दरों में बढ़ोतरी का दबाव रहेगा, जिससे खजाने का लाभ प्रभावित होगा, लेकिन कम अवधि में कर्ज लेने की दर जमा दर से ज्यादा रहेगी। करीब एक तिहाई कर्ज बाहरी बेंचमार्क दरों से जुड़ा हुआ है।
इंडिया रेटिंग्स ने वित्त वर्ष 22 के लिए कर्ज में वृद्धि का अनुमान मामूली बढ़ाकर 8.4 प्रतिशत से 8.9 प्रतिशत कर दिया है और वित्त वर्ष 23 के लिए ऋण वृद्धि 10 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है। वित्त वर्ष 22 की पहली तिमाही के बाद आर्थिक गतिविधियों में तेजी आने, बुनियादी ढांचे पर सरकार का खर्च बढऩे और खुदरा मांग बहाल होने से वृद्धि को समर्थन मिला है।
इसके अलावा अगले वित्त वर्ष में बैंकों की सकल गैर-निष्पादित संपत्ति (जीएनपीए) अनुपात 6.1 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
रेटिंग एजेंसी ने कहा कि बैंकिंग क्षेत्र के महत्त्वपूर्ण वित्तीय मानकों में सुधार जारी रहेगा। बैंकों के बही-खाते में सुधार और ऋण मांग बेहतर रहने से बैंकिंग क्षेत्र के परिदृश्य अच्छा हुआ है।
इंडिया रेटिंग्स का मानना है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक विभिन्न क्षेत्रों में वृद्धि के अवसर तलाशेंगे और उन्हें कर्ज की वसूली से लाभ होगा। उनका मुनाफा पिछले 6 साल में सबसे ऊंचा है।