भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) 29 अप्रैल को होने वाली मौद्रिक नीति समीक्षा में सहकारी बैंकों को ऋण बाजार से कोष जुटाने के लिए नए तरीकों के प्रयोग करने की अनुमति दे सकता है।
सहकारी बैंक कोष जुटाने के लिए छोटी ऋण संरचनाएं जैसे टियर-2 बॉन्ड्स, टियर-3 बॉन्ड्स और अपर टियर-2 या सर्वकालिक बॉन्ड ला सकते हैं। वर्तमान में इन बैंकों का वित्तपोषण राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) से उधार लेकर होता है। इनके कोष का एक हिस्सा राज्य सरकारों से भी आता है। इन बैंकों के पास स्वतंत्र रुप से कोष जुटाने का कोई विकल्प नहीं है।
मंगलवार को घोषित की जाने वाली मौद्रिक नीति में विदेशी एक्सचेंज बाजारों में करेंसी के वायदा कारोबार को लॉन्च करने से संबंधित अंतिम तौर-तरीकों के बारे में भी बताया जा सकता है। हाल ही में हुई एक बैठक में आरबीआई और भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड सैध्दांतिक तौर पर नेशनल स्टॉक एक्सचेंज पर करेंसी का वायदा कारोबार लॉन्च करने को लेकर सहमत हुए थे।
हालांकि, एनएसई को करेंसी के वायदा कारोबार के शुरुआत के लिए एक स्वतंत्र अनुषंगी संस्था बनानी पड़ सकती है। आरबीआई ने एक कमेटी गठित की है तो करेंसी के वायदा कारोबार के लॉन्च के लिए परिचालन संबंधी मसलों पर ध्यान देगी।
इसके मसौदा प्रस्ताव में आरबीआई का नजरिया था कि इस उत्पाद को लॉन्च करने के लिए एक स्वतंत्र एक्सचेंज होना चाहिए। हालांकि, सरकार ने इसके लिए स्टॉक एक्सचेंजों के वर्तमान इन्फ्रास्ट्रक्चर को इस्तेमाल करने की बात कही है।
उसके बाद आरबीआई की आंतरिक कमेटी ने सुझाव दिया कि पहले से चल रहे किसी स्टॉक एक्सचेंज को करेंसी के वायदा कारोबार की शुरुआत के लिए अलग प्लैटफॉर्म बनाने की अनुमति भी दी जाती है तो उसकी शेयरधारिता का पैटर्न विशाखित होना चाहिए।स्टॉक एक्सचेंज के अंदर करेंसी के वायदा कारोबार के प्लैटफॉर्म की संरचना बैंकों द्वारा अनुरक्षित चाइनीज वॉल के समान होगी।
इसके प्रतिभागियों और प्लैटफॉर्म के लिए अलग विवेकपूर्ण और परिचालन संबंधी दिशानिर्देश होने चाहिए जो प्रवर्तक एक्सचेंजों से स्वतंत्र होना चाहिए।इसके अतिरिक्त, ऐसे प्लैटफॉर्म को नियंत्रित करने का अधिकार आरबीआई के पास होना चाहिए क्योंकि विदेशी मुद्रा प्रबंधन का विशेषाधिकार केवल केंद्रीय बैंक को है। बैंक, जो करेंसी के वायदा कारोबार के प्रमुख प्रतिभागी होंगे, का नियंत्रण आरबीआई करती है।