भारतीय रिजर्व बैंक ने संकेत दिए हैं कि हाल फिलहाल में रीपो दर मेंं बढ़ोतरी नहीं होने जा रही है। ऐसे में आवास ऋण मुहैया कराने वालों में ब्याज दरों को लेकर अलग-अलग राय बनी है।
देश की सबसे बड़ी हाउङ्क्षसग फाइनैंस कंपनी हाउसिंग डेवलपमेंट फाइनैंस कॉपोरेशन (एचडीएफसी) ने कहा कि बहुत ज्यादा प्रतिस्पर्धी आवास ऋण के बाजार में आगे ब्याज दरों में और कमी देखी जा सकती है। वहीं देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक ने आवास ऋण की ब्याज दरों में किसी कटौती की संभावना से इनकार किया है।
इस समय आवास ऋण पर ब्याज संभवत: निचले स्तर पर है। महामारी से प्रभावित अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए केंद्रीय बैंक ने नकदी बढ़ाने की कवायद की, जिसकी वजह से व्यवस्था में अतिरिक्त नकदी आ गई और ब्याज दरें कम होने की यह प्रमुख वजह है। साथ ही रीपो रेट भी इस समय निचले स्तर पर है।
एचडीएफसी के वाइस प्रेसीडेंट और मुख्य कार्याधिकारी केकी मिस्त्री ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘कुछ कर्जदाता आवास ऋण की दरोंं में 5 से 10 आधार अंक की कमी कर सकते हैं, जो उनकी फंड की उपलब्धता पर निर्भर है। लेकिन व्यापक रूप से देखें तो इस समय ब्याज दरें निचले स्तर पर हैं। ऐसे में यह कहा जा सकता है कि निकट के हिसाब से ब्याज दर बढऩे की संभावना नहीं है।’
भारतीय स्टेट बैंक के चेयरमैन दिनेश कुमार खारा ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘बांडों का प्रतिफल (10 साल का बेंचमार्क) 22 आधार अंक नीचे आया है। लेकिन दरों, उधारी व जमा दोनों, में अभी बदलाव की संभावना नहीं है।’
इक्रा रेटिंग्स के वाइस प्रेसीडेंट और ग्रुप हेड अनिल गुप्ता ने कहा कि व्यवस्था अब दरों में बढ़ोतरी के चक्र के करीब है। कुछ कर्जदाता ब्याज दरों में 5 से 10 आधार अंक की कटौती करके ग्राहकों को लुभा सकते हैं, ऐसा फंड की लागत मेंं कमी की वजह से नहीं होगा, बल्कि इस भरोसे के आधार पर होगा कि ऐसा कम समय तक रहने वाला है। नीतिगत दरों में बढ़ोतरी के साथ जल्द ही फ्लोटिंग रेट में बदलाव हो सकता है।
पिछली कुछ तिमाहियों मेंं बैंक व हाउसिंग फाइनैंस कंपनियां आवास ऋण सेग्मेंट में बहुत आक्रामक रही हैं। बैंकों में सरकारी व निजी दोनों ने ही बाजार हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए प्रतिस्पर्धा की है। बैंक आफ इंडिया के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी अतनु सेन ने कहा कि उधारी दरों में कटौती के लिए आगे कोई जगह नहीं है क्योंकि मुनाफा पहले ही बहुत कम हो चुका है। बैंक आफ इंडिया 6.5 प्रतिशत की दर पर आवास ऋण दे रहा है, जो अन्य बैंकों की तुलना में पहले ही कम है।
इंडिया बुल्स हाउसिंग फाइनैंस के प्रबंध निदेशक और वाइस चेयरमैन गगन बंगा ने कहा, ‘अब ब्याज दरें और कम करने की संभावना नहीं है। सामान्यतया आवास ऋण की दरें सरकारी बॉन्डों के प्रतिफल की तुलना में 100-200 आधार अंक ज्यादा होती हैं। अभी ब्याज दरें 6.5 प्रतिशत के निचले स्तर पर हैं, जबकि सरकार के 10 साल के बॉन्ड का प्रतिफल 6.7 प्रतिशत से ज्यादा है। इससे संकेत मिलता है कि व्यक्ति इस समय सरकार से ज्यादा विश्वसनीय हैं।’