रियल एस्टेट सेक्टर में आ रही मंदी को भांपते हुए अब कॉमर्शियल बैंक फूंक फूंक कर कदम रख रहे हैं।
यह बैंक अब आवासीय और कॉमर्शियल योजनाओं के लिए कर्ज देने में काफी सतर्कता बरत रहे हैं और चुनींदा प्रोजेक्ट के लिए ही कर्ज दे रहे हैं। कर्ज की दरें बढ़ाने के अलावा अब बैंक प्रोमोटरों से प्रोजेक्ट में अपना पैसा ज्यादा से ज्यादा लगाने को भी कह रहे हैं। जिससे कि उनका जोखिम सीमित रह सके।
आर्थिक अनिश्चितता और बेकाबू होती महंगाई के चलते रियल एस्टेट की कीमतों पर असर पड़ना बिल्कुल लाजिमी सा लग रहा है। मसलन मुंबई के कुछ इलाकों में इसके उदाहरण देखे जा सकते हैं। कार्पोरेशन बैंक के प्रमुख जनरल मैनेजर एम नरेंद्र का कहना है कि रियल एस्टेट में पिछले साल से स्थिति बिल्कुल अलग होगी और इस सेक्टर में करेक्शन का दौर शुरू होगा।
इस बाबत रिजर्व बैंक ने पहले से ही अपने प्रूडेंशियल नार्म्स के तहत रियल एस्टेट को पहले ही काफी सेंसेटिव सेक्टर घोषित कर दिया है। इसका तकाजा है कि इस सेक्टर के लिए अब बैंकों ने कर्ज देने को लेकर काफी सावधानी बरतनी शुरू कर दी है। साथ ही, अब इस सेक्चर का रिस्क वेटेज भी बढ़ गया है जिसकी वजह से इन बैंकों को ऐसे कर्जो के लिए ज्यादा प्रोवीजनिंग करनी पड़ रही है।
देना बैंक के सीनियर एक्जीक्यूटिव का कहना है कि ऐसा नही है कि बैंकों ने एकदम से एक्सपोजर को लेना रोक दिया है क्योंकि इस वक्त पूरा सेक्टर नही बल्कि उनका कुछ हिस्सा प्रभावित हुआ है। अभी भी इस सेक्टर के बड़े खिलाड़ी अच्छी स्थिति में हैं और औरों से अभी भी वो आगे हैं। उधर बैंक ऑफ इंडिया को पिछले साल से किसी भी प्रकार के नए प्रस्ताव रियल एस्टेट सेक्टर से नही मिले हैं।