भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा है कि बैंकों व गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) को आवास ऋण और वाहन ऋण जैसे मासिक किस्त वाले कर्ज के लिए निश्चित रूप से नियत ब्याज दर (फिक्स्ड)वाली ऋण योजनाओं की पेशकश करनी चाहिए।
शुक्रवार को जारी अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (एफएक्यू) में नियामक ने कहा, ‘आरई को मासिक किस्त वाले व्यक्तिगत ऋण श्रेणी में अनिवार्य रूप से नियत ब्याज दर वाली ऋण योजनाएं पेश करनी चाहिए। कर्ज लेने वालों को आरई नियत दर का विकल्प चुनने की पेशकश कर सकती हैं, जैसा कि उनके बोर्ड ने ब्याज दरें तय करते समय नीति को मंजूरी दी हो।’
रिजर्व बैंक की परिभाषा के मुताबिक व्यक्तिगत ऋण में किसी व्यक्ति को दिया गया कंज्यूमर क्रेडिट, शिक्षा ऋण, स्थाई संपत्ति जैसे मकान आदि खरीदने के लिए दिए गए कर्ज और वित्तीय संपत्तियों जैसे शेयरों डिबेंचरों आदि में निवेश के लिए लिया गया ऋण शामिल है।
ऋणदाता नियत दर पर वाहन ऋण, असुरक्षित व्यक्तिगत ऋण मुहैया कराते हैं, लेकिन ज्यादातर बैंक और एनबीएफसी के पास आवास ऋण के लिए कोई स्थिर ब्याज दर वाली ऋण योजना नहीं है। रिजर्व बैंक ने ग्राहकों से कहा कि वे भी फ्लोटिंग ऋण से नियत दर के ऋण का विकल्प चुन सकते हैं। नियमन के दायरे में आने वाली इकाई को दिखाना जरूरी है कि बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीति के तहत ऋण की अवधि के दौरान उधारकर्ता कितनी बार बदलाव का विकल्प चुन सकता है। नियामक ने कहा कि विचार यह है कि उधार लेने वालों को फ्लोटिंग रेट वाले कर्ज से फिक्स्ड रेट वाले कर्ज में जाने या इसके विपरीत विकल्प अपनाने का मौका मिल सके।
रिजर्व बैंक ने कहा है कि लिया जाने वाला ब्याज आरई के बोर्ड द्वारा मंजूर किया हुआ होना चाहिए और उसे बैंकों को निर्देशों के साथ वेबसाइट पर दिखाना चाहिए।