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परिसंपत्ति गुणवत्ता जोखिम बढ़ा, पर नीतिगत समर्थन से मिलेगी मदद

Published by
बीएस संवाददाता
Last Updated- December 12, 2022 | 1:58 AM IST

आसियान और भारत के कई हिस्सों में बैंकों के लिए परिसंपत्ति गुणवत्ता जोखिम बढ़ेंगे, क्योंकि इन क्षेत्रों को टीकाकरण की धीमी रफ्तार के बीच कोरोनावायरस संक्रमण की नजर लहर से जूझना पड़ा है। रेटिंग एजेंसी मूडीज के अनुसार, फिर भी लगातार नीतिगत समर्थन और नुकसान को सहन करने की मजबूत क्षमता से नकारात्मक प्रभाव कम करने में मदद मिलेगी।
आसियान और भारत में बैंकों के लिए, कोरोनावायरस महामारी से संबंधित सख्ती से आर्थिक रिकवरी की राह प्रभावित होगी और कर्जदारों की ऋण चुकाने की क्षमता घटेगी। साथ ही, नुकसान से बचने के लिए मजबूत बफर्स, नीतिगत समर्थन और वायरस की चपेट में कुछ ही सेगमेंटों के आने से उनकी ऋण मजबूती बरकरार रहेगी।

भारत (बीएए3 निगेटिव) के लिए, अर्थव्यवस्था मार्च 2022 में समाप्त होने वाले वित्त वर्ष में वृद्घि की राह पर लौटेगी। लेकिन गंभीर दूसरी लहर से परिसंपत्ति गुणवत्ता में सुधार प्रभावित होगा। इसके विपरीत, वैश्विक आर्थिक गतिविधि के पुन: शुरू होने से वियतनाम (बीए3 पॉजीटिव), मलेशिया (ए3 स्टैबल) और सिंगापुर (एएए स्टैबल) में वृद्घि की रफ्तार मजबूत होगी।

वित्त वर्ष 2022 की पहली तिमाही के लिए सूचीबद्घ भारतीय बैंकों के परिणामों के विश्लेषण से पता चलता है कि सकल गैर-निष्पादित परिसंपत्तियां (एनपीए) 12 महीने में 2.5 प्रतिशत तक घटकर जून 2021 में 8.1 लाख करोड़ रुपये पर रह गईं। लेकिन तिमाही आधार पर वे उन सूचीबद्घ बैंकों के लिए मार्च 2021 में 0.4 प्रतिशत तक बढ़कर 8.08 लाख करोड़ रुपये पर दर्ज की गई थीं, जिन्होंने जून 2021 में समाप्त पहली तिमाही के लिए अपने नतीजों की घोषणा की है। शुद्घ एनपीए सालाना आधार पर मामूली 0.5 प्रतिशत और तिमाही आधार पर 1.4 प्रतिशत तक बढ़ा।
प्रावधान और आकस्मिक खर्च मार्च 2021 के दौरान 9.3 प्रतिशत सालाना और 11.1 प्रतिशत तक घट गए। प्रावधान में गिरावट को प्रावधान कवरेज अनुपात में कमी के तौर पर नहीं देखा जाना होगा। बैंकों ने फंसे कॉरपोरेट ऋणों के लिए प्रावधान लगभग पूरे कर लिए हैं। बैंकरों का कहना है कि इसके अलावा, पहली तिमाही में ऋणों के पुनर्गठन का मतलब है कि फंसे कर्ज के लिए कम प्रावधान बोझ। 

First Published : August 11, 2021 | 12:01 AM IST