वित्त-बीमा

पहली तिमाही में आए 36 फीसदी कम कॉर्पोरेट बॉन्ड

वित्त वर्ष 2024 में कॉर्पोरेट बॉन्ड जारी करने के मामले में नाबार्ड और आरईसी के बाद एचडीएफसी तीसरी सबसे बड़ी कंपनी थी।

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अंजलि कुमारी   
Last Updated- July 10, 2024 | 10:33 PM IST

चुनाव के नतीजों को लेकर अनि​श्चितता और आगामी आम बजट के साथ ही एचडीएफसी की गैर-मौजूदगी के कारण इस साल अप्रैल-जून में पिछले साल की समान अव​धि की तुलना में करीब एक-तिहाई कम कॉर्पोरेट बॉन्ड जारी किए गए। प्राइम डेटाबेस के अनुसार चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 1.88 लाख करोड़ रुपये के कॉर्पोरेट बॉन्ड जारी किए गए जो पिछले वित्त वर्ष की समान अव​धि में जारी किए गए 2.95 लाख करोड़ रुपये के बॉन्ड से 36 फीसदी कम है।

पिछले वित्त वर्ष में ज्यादा कॉर्पोरेट बॉन्ड जारी होने की प्रमुख वजह विलय से पहले एचडीएफसी द्वारा भारी मात्रा में उधारी जुटाना रहा। एचडीएफसी ने वित्त वर्ष 2024 में अप्रैल-जून के दौरान 46,062 करोड़ रुपये जुटाए थे। एचडीएफसी का 1 जुलाई, 2023 को एचडीएफसी बैंक में विलय हो गया था।

वित्त वर्ष 2024 में कॉर्पोरेट बॉन्ड जारी करने के मामले में नाबार्ड और आरईसी के बाद एचडीएफसी तीसरी सबसे बड़ी कंपनी थी। बाजार के भागीदारों ने कहा कि एचडीएफसी के बड़े पैमाने पर पैसे जुटाने से बॉन्ड बाजार में तेजी आई जो अगले महीनों में भी जारी रही। अमेरिका में ट्रेजरी यील्ड बढ़ने के कारण जुलाई में बाजार में थोड़ी सुस्ती के बावजूद तरलता खत्म होने पर बॉन्ड बाजार में फिर तेजी आ गई।

रॉकफोर्ट फिनकैप के संस्थापक और मैनेजिंग पार्टनर वेंकटकृष्णन श्रीनिवासन ने कहा, ‘चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में कम मात्रा में कॉर्पोरेट बॉन्ड जारी होने के कई कारण है। इनमें लोक सभा चुनाव, दर कटौती के अनुमान से यील्ड में तेज गिरावट आने की आशंका और भारत के जेपीमॉर्गन बॉन्ड सूचकांक में शामिल होना प्रमुख हैं। पिछले साल एचडीएफसी ने विलय से पहले काफी उधारी जुटाई थी जिससे ज्यादा मात्रा में बॉन्ड जारी किए गए थे।’

श्रीनिवासन ने कहा कि दिल्ली इंटरनैशनल एयरपोर्ट, लार्सन ऐंड टुब्रो, डाबर, टाटा पावर, सेंचुरी टेक्सटाइल्स और टॉरंट पावर ने पिछले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में बॉन्ड से पैसे जुटाए थे मगर इस बार इन्होंने बॉन्ड जारी नहीं किए। पावर फाइनैंस कॉर्पोरेशन ने पिछले साल पहली तिमाही में 12,281 करोड़ रुपये जुटाए थे जबकि इस साल 3,178 करोड़ रुपये ही जुटाए हैं।

एडलवाइस ऐसेट मैनेजमेंट में प्रेसिडेंट और सीआईओ-फिक्स्ड इनकम धवल दलाल ने कहा, ‘अगर आप बॉन्ड की अव​धि देखें तो यह भी काफी संकुचित हो गई है। दीर्घाव​धि के बजाय ज्यादातर बॉन्ड एक से तीन साल की अव​धि के लिए जारी किए गए हैं। आम तौर पर 5 से 10 साल की परिपक्वता वाले बॉन्ड की ज्यादा आपूर्ति होती है मगर ऐसा नहीं दिख रहा है क्योंकि म्युचुअल फंड केवल कम अव​​धि वाले बॉन्ड पसंद कर रहे हैं।’

First Published : July 10, 2024 | 10:27 PM IST