लोकसभा चुनाव

Lok Sabha Elections: लक्ष्मी भंडार जैसी योजनाओं ने ममता सरकार की जीत में निभाई अहम भूमिका

अपनी समावेशी राजनीति के कारण ममता का मुस्लिम वोट बैंक पर बहुत मजबूत पकड़ है। नागरिकता (संशोधन) विधेयक (सीसीए) के मुद्दे ने इस वोट बैंक को और संगठित होने में भूमिका निभाई है।

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ईशिता आयान दत्त   
Last Updated- June 07, 2024 | 11:18 PM IST

Lok Sabha Elections: चौथे चरण के मतदान से ठीक पहले की बात है, पश्चिम बंगाल के नादिया जिले के कृष्णानगर कस्बे में चाय की एक दुकान पर दो लोग इस बात को लेकर चर्चा कर रहे थे कि यहां से चुनाव कौन जीतेगा। इस सीट से भाजपा (BJP) की अमृता राय उर्फ रानी मां के खिलाफ तृणमूल कांग्रेस (TMC) की महुआ मोइत्रा मैदान में डटी थीं।

दोनों लोग भगवा दल को वोट देने के पक्ष में लग रहे थे, लेकिन घर पर महिलाएं? जब दोनों से घर की महिलाओं की पसंद के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘हमसे तो यही कहती हैं कि वे भी भाजपा (BJP) को ही वोट देंगी, लेकिन हमें उनका कोई भरोसा नहीं है। हो सकता है कि लक्ष्मी भंडार योजना के कारण उनका वोट दूसरी तरफ हो।’

भाजपा को 12 सीट पर संतोष करना पड़ा

कृष्णानगर लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र में महुआ मोइत्रा ने 56,705 वोटों से जीत दर्ज की है। किसी सीट पर जीत में कई कारक एक साथ काम करते हैं, लेकिन महिलाओं के लिए मासिक वित्तीय सहायता और लक्ष्मी भंडार (Lakshmi Bhandar) जैसी ममता सरकार की योजनाओं ने पूरे बंगाल में तृणमूल की जीत में महती भूमिका निभाई। राज्य की 42 लोक सभा सीटों में से तृणमूल के हिस्से 29 सीट आई हैं।

भाजपा को 12 सीट पर संतोष करना पड़ा है। कांग्रेस को केवल एक सीट मिली है। ममता की पार्टी को पिछले चुनाव के मुकाबले सात सीट अधिक मिली हैं। इसकी मुख्य प्रतिद्वंद्वी भाजपा को छह सीट कम मिली हैं। निर्वाचन आयोग के आंकड़ों के अनुसार पहले छह चरण के चुनावों में औसत पुरुष मतदान 77.96 फीसदी दर्ज किया गया जबकि महिलाओं का मतदान औसत 81.19 फीसदी रहा।

क्या है लक्ष्मी भंडार योजना? (What is Lakshmi Bhandar Yojana)

राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं कि राज्य सरकार की कल्याणकारी योजनाओं विशेष कर ‘लक्ष्मी भंडार’ ने चुनावी नतीजों पर बड़ा असर डाला है। राज्य की 25 से 60 साल की महिलाओं के लिए यह योजना 2021 के विधान सभा चुनावों के बाद लागू की गई थी।

सामाजिक और आर्थिक प्रभाव

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री के प्रधान मुख्य सलाहकार अमित मित्रा के अनुसार लोक सभा चुनाव में राज्य की महिलाओं पर लक्ष्मी भंडार योजना का व्यापक असर दिखा।

मित्रा ने कहा, ‘इस खास योजना का दोतरफा फायदा नजर आया। इससे महिलाओं की सामाजिक हैसियत मजबूत हुई। इसी के साथ बाजार में सक्रियता बढ़ी, जिससे वस्तुओं की मांग में इजाफा हुआ।’

पश्चिम बंगाल के 2024-25 के बजट भाषण के अनुसार लक्ष्मी भंडार योजना का 2023-24 का खर्च 10,101.87 करोड़ रुपये था। यही नहीं, योजना के लिए 12,000 करोड़ रुपये और आवंटित किए गए, क्योंकि वित्तीय सहायता के तहत अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की महिलाओं के लिए राशि बढ़ा कर 1,200 रुपये प्रति माह की गई जबकि अन्य वर्गों की महिलाओं को 1,000 रुपये का प्रावधान किया गया। इस योजना का लाभ उठाने के लिए राज्य की 2.11 करोड़ महिलाओं ने अपना पंजीकरण कराया था।

मित्रा ने कहा कि कई और ऐसी योजनाएं रहीं जो महिलाओं को ध्यान में रखकर शुरू की गईं। इनमें कन्या श्री (उच्च शिक्षा के लिए लड़कियों को वित्तीय सहायता), स्वयं सहायता समूहों के लिए बड़े स्तर पर संसाधन उपलब्ध कराने की योजना और सभी छात्रों के लिए क्रेडिट कार्ड की व्यवस्था जिसमें 4 फीसदी वार्षिक ब्याज दर पर 10 लाख रुपये तक का ऋण लेने की सुविधा दी गई।

मित्रा ने यह भी बताया कि पश्चिम बंगाल सरकार ने कई क्षेत्रों में नौकरियां दी हैं। उन्होंने कहा, ‘जब ममता सरकार सत्ता में आई तब राज्य में 49 सूक्ष्म, लघु और मध्यम स्तर के उद्यम क्लस्टर थे। आज इनकी संख्या बढ़कर 550 हो गई है और ये बड़ी संख्या में नौकरियां दे रहे हैं।’ राज्य में ई-कॉमर्स कंपनियों और स्टार्टअप में गिग कर्मचारियों की संख्या लगातार बढ़ रही है।

राजनीतिक विमर्श

अपनी समावेशी राजनीति के कारण ममता का मुस्लिम वोट बैंक पर बहुत मजबूत पकड़ है। नागरिकता (संशोधन) विधेयक (सीसीए) के मुद्दे ने इस वोट बैंक को और संगठित होने में भूमिका निभाई है। राजनीतिक विश्लेषक सब्यसाची बसु राय चौधरी ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा उपेक्षा किए जाने के विमर्श ने मतदाताओं को बहुत अधिक प्रभावित किया।

First Published : June 7, 2024 | 10:20 PM IST