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Year Ender Real Estate 2022: मांग बढ़ने से रियल्टी क्षेत्र के लिए बेहतर रहा गुजरता साल, तेजी का रुख बने रहने की उम्मीद

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भाषा
Last Updated- December 29, 2022 | 6:48 PM IST

जमीन-जायदाद के विकास से जुड़ी कंपनियों के लिये गुजरता साल बिक्री के लिहाज से अच्छा रहा। कोविड महामारी (Covid-19) के बाद मांग बढ़ने से देश के रियल एस्टेट (Real Estate) बाजार को इस साल बढ़ती ब्याज दरों के जोखिमों से उबरने में मदद मिली। वैश्विक चुनौतियों के बीच तेजी का रुख अगले साल भी बने रहने की उम्मीद है।

क्षेत्र की कंपनियों के अनुसार इस साल रिकॉर्ड आवासीय बिक्री हुई और यह कोविड-पूर्व अवधि यानी 2019 के आंकड़े के साथ 2014 के पिछले उच्च स्तर को भी पार कर गया है। एनारॉक के चेयरमैन अनुज पुरी ने कहा, ‘आवासीय अचल संपत्ति बाजार के लिए यह एक सफल वर्ष रहा। इस दौरान बिक्री की गति जारी रही। मूल रूप से बाजार महामारी से पहले की तुलना में कहीं अधिक परिपक्व और स्थिर है।

पुरी ने कहा कि उन्हें 2023 में आवासीय बाजार के 2022 जैसा ही बने रहने की उम्मीद है लेकिन यह कई बातों पर निर्भर है। वैश्विक स्तर पर मंदी की आशंका, उच्च मुद्रास्फीति और ब्याज दरों तथा कोविड महामारी में तेजी से क्षेत्र पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है।

रियल एस्टेट कंपनियों की शीर्ष संस्था क्रेडाई के अध्यक्ष हर्षवर्धन पटोदिया ने कहा कि उन्हें ‘भारतीय रियल एस्टेट बाजार में मजबूत और सकारात्मक गति की उम्मीद है। क्रेडाई के पश्चिमी उत्तर प्रदेश इकाई के अध्यक्ष अमित मोदी ने कहा, ‘दो साल के लॉकडाउन के बाद अर्थव्यवस्था का पटरी पर लौटना सुखद और उम्मीद से कहीं अधिक रहा। मुद्रास्फीति, लगातार बढ़ती रीपो दर और निर्माण सामग्री की लागत में भारी वृद्धि के बावजूद 2022 में रियल्टी क्षेत्र में सकारात्मक वृद्धि हुई है।’

मोदी ने कहा, ‘विभिन्न चुनौतियों के बावजूद रियल एस्टेट क्षेत्र में 2023 में भी तेजी की उम्मीद है। इसका कारण अब यह क्षेत्र मझोले और छोटे शहरों की ओर अपना विस्तार कर रहा है।’ हालांकि क्षेत्र के समक्ष चुनौतियां भी हैं। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने 2023 में वैश्विक अर्थव्यवस्था में 0.2 फीसदी तक की गिरावट का अनुमान लगाया है। इसका मतलब यह होगा कि अमीर देशों से विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में निवेश प्रवाह धीमा हो जाएगा। कई उभरते बाजार और कम आय वाले देश पहले से ही मुद्रा की विनिमय दर में गिरावट, पूंजी की निकासी और मुद्रास्फीति के दबाव का सामना कर रहे हैं।

विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि महंगाई का दबाव बना हुआ है, ऐसे में भारतीय रिजर्व बैंक अगले साल की पहली छमाही तक नीतिगत दर में वृद्धि कर सकता है। एनारॉक के अनुसार, 2022 में सात प्रमुख शहरों में प्राथमिक बाजारों (ताजा बिक्री) में आवास की बिक्री 54 फीसदी बढ़कर लगभग 3.65 लाख इकाई रही जो अबतक का उच्च स्तर है। यह पिछले साल 2,36,500 इकाई रही थी।

देश के प्रमुख सात शहरों – दिल्ली-एनसीआर, मुंबई महानगरीय क्षेत्र (एमएमआर), चेन्नई, कोलकाता, बेंगलूरु, हैदराबाद और पुणे में आवासीय संपत्तियों की बिक्री 2019 यानी कोविड-पूर्व अवधि में 2,61,360 इकाई और 2014 में 3,42,980 इकाई थी। यह बिक्री तब बढ़ी है जब आवास ऋण में वृद्धि हुई है।

आरबीआई के इस साल मई से नीतिगत दर में वृद्धि के साथ बैंक ने कर्ज के लिये ब्याज दर भी बढ़ाये और यह एक दशक के निचले स्तर करीब 6.5 फीसदी से ऊपर आई है। उत्पादन लागत में वृद्धि के साथ मांग में तेजी ने रियल एस्टेट कंपनियों को उनकी बिक्री की कीमतें बढ़ाने के लिए प्रेरित किया, जो पिछले कई सालों से बहुत कम मार्जिन पर काम कर रहे थे। इन शीर्ष सात शहरों में पिछले कई साल से स्थिर आवास की कीमतों में औसतन चार-सात फीसदी की मामूली वृद्धि देखी गई।

रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध के बीच भू-राजनीतिक चिंताओं से इस साल की पहली छमाही (जनवरी-जून) में सीमेंट और इस्पात जैसे प्रमुख कच्चे माल की कीमतें अधिक बढ़ी थी। हालांकि इस्पात की कीमतें अब कम हो गई हैं लेकिन कई अन्य वस्तुएं अभी भी महंगी बनी हुई हैं। आवासीय अचल संपत्ति बाजार में इस साल ब्रांडेड और भरोसेमंद रियस एस्टेट कंपनियों की मांग तथा आपूर्ति दोनों में और मजबूती देखी गई।

टाटा, महिंद्रा, गोदरेज, पीरामल ग्रुप और अदाणी जैसे प्रतिष्ठित रियल एस्टेट परियोजनाओं ने अधिक ध्यान खींचा। आवासीय खंड की तरह ही भारतीय रियल एस्टेट के अन्य श्रेणियों मसलन कार्यालय, मॉल, को-वर्किंग, को-लिविंग और औद्योगिक एवं गोदान क्षेत्र में भी एक मजबूत पुनरुद्धार देखा गया। संपत्ति सलाहकार जेएलएल इंडिया के आंकड़ों के अनुसार, इस साल कार्यालय स्थल की मांग 46 फीसदी बढ़कर 3.82 करोड़ वर्ग फुट हो गया। 2021 में यह 2.62 करोड़ वर्ग फुट था। हालांकि मांग कोविड-पूर्व यानी 2019 में रिकॉर्ड 4.7 करोड़ वर्ग फुट तक नहीं पहुंच सका।

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रियल एस्टेट कंपनियों के लिए 2022 बेहतर रहा क्योंकि पिछले छह वर्षों के दौरान उन्हें पुराने नोटों को चलन से हटाने, रेरा (रियल एस्टेट नियामकीय प्राधिकरण) और जीएसटी के कार्यान्वयन, एनबीएफसी संकट और महामारी के रूप में कई बाधाओं का सामना करना पड़ा। अगर देश में महामारी और महंगाई काबू में रहती है तो कंपनियों को न केवल अपने विकास को दोहराने बल्कि इसे बेहतर बनाने का भरोसा है।

पैरामाउंट समूह के विपणन प्रमुख धीरज बोरा ने कहा कि 2022 रियल एस्टेट बाजार की मजबूती और ग्राहकों की बढ़ती मांग को दर्शाता है। घर की कीमतों में वृद्धि के बाद भी लोगों ने घरों में भारी निवेश किया और त्योहारों के दौरान घरेलू निवेश में भी ठोस वृद्धि दर्ज की। उन्होंने कहा कि 2022 के पहले नौ महीनों में प्रवासी भारतीयों के बीच आवास की मांग में 15 से 20 फीसदी की वृद्धि हुई है। बिक्री में जो वृद्धि का रुझान है, वह अगले साल भी बने रहने की उम्मीद है।

First Published : December 29, 2022 | 6:48 PM IST