World Economic Forum: अगले हफ्ते की शुरुआत भूराजनीतिक चुनौतियों के बीच दावोस में विश्व आर्थिक मंच की सालाना बैठक के साथ होगी, जिसमें दुनिया भर की कद्दावर हस्तियां शिरकत करेंगी। खूबसूरत स्विस आल्प्स पहाड़ों के बीच बसे इस शहर में भारत से भी कई बड़े नाम शामिल हो रहे हैं, जिनका मकसद सुस्त अर्थव्यवस्था और दो जंगों से जूझ रही दुनिया में भारत की मजबूती, प्रगति और अहमियत को दर्शाना है।
फोरम में हिस्सा लेने जा रहे गोदरेज इंडस्ट्रीज के चेयरमैन नादिर गोदरेज कहते हैं, ‘भूराजनीतिक चुनौतियां तो हैं मगर भारत पर उनका उतना असर नहीं है। भारत तेजी से बढ़ रहा है।’ रेल, संचार और इलेक्ट्रॉनिक एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव, भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास और गौतम अदाणी, सुनील मित्तल तथा सज्जन जिंदल जैसे उद्योगपति भी दावोस जा रहे हैं।
उनके साथ अल्पसंख्यक मामलों की मंत्री स्मृति इरानी, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी भी जाएंगे और दावोस में भारत की वृद्धि की झांकी दिखाएंगे। सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग से विप्रो के कार्यकारी चेयरमैन रिशद प्रेमजी, टाटा समूह के चेयरमैन और टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) के चेयर एन चंद्रशेखरन समेत कई बड़े नाम होंगे।
टीसीएस के मुख्य कार्य अधिकारी (सीईओ) और प्रबंध निदेशक (एमडी) कृति कृत्तिवासन का कहना है, ‘हमारे लिए दावोस महत्त्वपूर्ण कार्यक्रम है। वहां अपने ग्राहकों से ज्यादा बातचीत करने का मौका मिलेगा।’ वह कहते हैं कि इस मंच पर मुख्य प्रौद्योगिकी अधिकारियों के मुकाबले सीईओ से ज्यादा मुलाकात करने का मौका मिलता है। कृत्तिवासन समझाते हैं, ‘इससे हमें पता चलता है कि कारोबार के लिए उनका नजरिया क्या है और क्लाउड तथा जेनरेटिव एआई (आर्टिफिशल इंटेलिजेंस) उन्हें कितने कीमती लगते हैं।’
टीसीएस के मुताबिक दावोस में पता लगेगा कि कारोबारी तकनीक के बारे में क्या सोचते हैं। अगले दस साल में 7 लाख करोड़ रुपये का निवेश करने वाले अदाणी समूह के लिए यह विदेश में भी निवेश के मौके तलाशने का अच्छा अवसर होगा। अधिकारियों ने बताया कि ब्रिटेन में हाइड्रोजन परियोजनाओं के साथ हरित कंपनी के तौर पर छवि मजबूत कर रहे तथा सऊदी अरब में 4 अरब डॉलर का स्टील संयंत्र लगाने की योजना बना रहे एस्सार समूह से प्रशांत रुइया दावोस जाएंगे।
विश्व बैंक की पिछले हफ्ते आई उस रिपोर्ट से भारतीय कंपनी जगत के हौसले बुलंद हैं, जिसमें अगले वित्त वर्ष में भारत की वृद्धि दर 6.4 बनी रहने का अनुमान जताया गया है। देश के भीतर मजबूत मांग, सार्वजनिक बुनियादी ढांचे पर बढ़ते खर्च और निजी क्षेत्र में तेज ऋण वृद्धि को इसकी वजह बताया गया है।
दावोस में बैंकिंग और वित्त क्षेत्र की अगुआई रिजर्व बैंक के गवर्नर दास करेंगे। उनके साथ भारतीय स्टेट बैंक के चेयरमैन दिनेश खारा, बजाज फिनसर्व के चेयरमैन और एमडी संजीव बजाज, ऐक्सिस बैंक के एमडी और सीईओ अमिताभ चौधरी तथा बजाज आलियांज लाइफ इंश्योरेंस के एमडी और सीईओ तरुण चुघ का जाना पक्का है। निर्माण क्षेत्र की बड़ी कंपनी एचसीसी के चेयरमैन अजित गुलाबचंद ने कहा, ‘मैं दावोस जा रहा हूं। मैं 34वीं बार इस बैठक में रहूंगा। बुनियादी ढांचे का विकास देश के लिए महत्त्वपूर्ण एजेंडा है।’
विश्व आर्थिक मंच की पिछली दो बैठकों में सुर्खियां बनने वाला रूस-यूक्रेन युद्ध इस साल भी एजेंडे में सबसे ऊपर रह सकता है। 15 से 19 जनवरी तक चलने वाली बैठक में इजरायल-गाजा संघर्ष पर भी बात होगी। अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन को भी बैठक में हिस्सा लेना है।
(देव चटर्जी, शार्लीन डिसूजा, शिवानी शिंदे, असित रंजन मिश्र और मनोजित साहा)