भारत के सेवा क्षेत्र की रफ्तार अक्टूबर में सुस्त पड़ गई। सेवा क्षेत्र का पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) घटकर 7 महीने के निचले स्तर 58.4 पर आ गया, जो सितंबर में 61 था। एसऐंडपी ग्लोबल के शुक्रवार को आए सर्वे में कहा गया है कि सुस्त मांग, कीमत का दबाव और प्रतिस्पर्धी स्थिति के कारण ऐसा हुआ है।
वैश्विक क्रेडिट एजेंसी के सर्वे में कहा गया है, ‘भारतीय सेवाओं की सकारात्मक मांग से तीसरी वित्तीय तिमाही की शुरुआत में कारोबारी गतिविधियों की वृद्धि को समर्थन मिला है। विस्तार की दर सुस्त हुई है, जिसकी वजह प्रतिस्पर्धी स्थितियां और कीमत का दबाव है। अक्टूबर के दौरान इनपुट लागत और आउटपुट शुल्क में तेज बढ़ोतरी हुई है। महंगाई की दर दीर्घावधि औसत से ऊपर रही है।’
बहरहाल सूचकांक जुलाई 2021 से लगातार 27वें महीने 50 अंक से ऊपर रहा है। 50 से ऊपर अंक प्रसार और इससे नीचे संकुचन माना जाता है।
सर्वे में गैर उपभोक्ता सेवाओं, ट्रांसपोर्ट, सूचना, संचार, वित्त, बीमा, रियल एस्टेट और बिजनेस सर्विस से जुड़ी करीब 400 कंपनियों को शामिल किया गया था।
सर्वे में कहा गया है कि यह मई के बाद के सबसे कमजोर आंकड़े हैं, लेकिन वृद्धि की दर उल्लेखनीय स्तर पर बनी हुई है। ग्राहको की दिलचस्पी और सफल विज्ञापन का लाभ मिला है। वहीं कुछ सेवाओं में मांग कम होने के साथ प्रतिस्पर्धा अधिक रही है और उससे कुल मिलाकर प्रसार प्रभावित हुआ है।
बहरहाल अक्टूबर के आंकड़ों से पता चलता है कि भारतीय सेवा कंपनियों के अंतरराष्ट्रीय ऑर्डर में तेजी रही है और यह सितंबर 2014 में सूचकांक शुरू होने के बाद से दूसरी सबसे तेज वृद्धि है।
एसऐंडपी ग्लोबल मार्केट इंटेलिजेंस में इकोनॉमिक्स एसोसिएट डायरेक्टर पॉलियाना डी लीमा ने कहा कि भारत की सेवा अर्थव्यवस्था में शानदार वृद्धि जारी है, भले ही सितंबर के 13 साल के उच्च स्तर की तुलना में कारोबारी गतिविधियां और नए काम की मांग सुस्त रही है।
उन्होंने कहा, ‘सेवा कंपनियां नए ठेके पाने में सफल रही हैं। लेकिन कुछ को सेवाओं की मांग में कमी महसूस हुई और प्रतिस्पर्धा की स्थिति रही। निर्यात एक अहम क्षेत्र है, जहां अक्टूबर में मजबूती रही। एशिया,यूरोप और अमेरिका से नया बिजनेस मिलने से इस श्रृंखला के 9 साल से ज्यादा के इतिहास में दूसरी सबसे बड़ी वृद्धि दर्ज की गई है।’
इसके अलावा सर्वे में कहा गया है कि महंगे भोजन, ईंधन और कर्मचारियों की लागत के कारण भारत की सेवा कंपनियों का अक्टूबर में व्यय बढ़ा है।