रेटिंग एजेंसी स्टैंडर्ड ऐंड पुअर्स ने कहा है कि कोविड की दूसरी लहर भारत की मजबूत आर्थिक रिकवरी को पटरी से उतार सकती है और इसे क्रेडिट रेटिंग बिगड़ सकती है।
नई परिस्थितियों में आर्थिक विस्तार 1.2 प्रतिशत प्रभावित हो सकता है, जिससे मार्च 2022 को समाप्त होने वाले वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 9.8 प्रतिशत रह सकती है। खराब स्थितियों में यह असर 2.8 प्रतिशत हो सकता है और इससे वित्त वर्ष 22 में जीडीपी वृद्धि 8.2 प्रतिशत पर आ सकती है। मूल रूप से वित्त वर्ष 22 में वृद्धि का अनुमान 11 प्रतिशत है।
एसऐंडपी ने एक बयान में कहा है कि भारत की अर्थव्यवस्था में गिरावट की गहराई से सॉवरिन क्रेडिट प्रोफाइल पर पडऩे वाले असर का निर्धारण होगा।
देश में नए संक्रमण के मामले रोज बढ़ रहे हैं, जो इस समय विश्व में कुल मामलों का आधा है। इससे भारत की स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई है।
एसऐंडपी ने कहा कि यह संभव है कि सरकार और ज्यादा लॉकडाउन लागू करेगी, जिससे कॉर्पोरेट मुनाफे, नकदी, फंडिंग की पहुंच, सरकार के राजस्व और बैंकिंग व्यवस्था के मुनाफे पर असर पड़ सकता है, जिसमें बहुत तेजी से सुधार हो रहा था।
एसऐंडपी ग्लोबल रेटिंग क्रेडिट एनलिस्ट इयूनाइस टैन ने कहा, ‘तमाम मानकों पर भारत की रिकवरी बहुत बेहतर रही है, खासकर वित्त वर्ष 21 की अंतिम तिमाही में। हाल के व्यवधान से रिकवरी की तेजी पर असर पड़ा है।’
विश्व में टीके के सबसे बड़े उत्पादक होने के बावजूद भारत के टीकाकरण को लागू करने की कवायद बहुत बड़ी है, खासकर व्यापक ग्रामीण आबादी का टीकाकरण चुनौती है।
केंद्र सरकार देशव्यापी लॉकडाउन से बचने की कवायद कर रही है, क्योंकि यह अलोकप्रिय होगा और अर्थव्यवस्था पर इसकी मार पड़ेगी। बहरहाल प्राधिकारियों ने पहले ही स्थानीय स्तर पर लॉकडाउन लगाया है, जिनमें मुंबई, नई दिल्ली और बेंगलूरु के ज्यादातर इलाके शामिल हैं।
लॉकडाउन के कारण आवाजाही प्रभावित हुई है और इसका असर भारत की रिकवरी पर पड़ेगा।