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SBI ने ग्राहकों के लिए किया बड़ा ऐलान, CBCD पर शुरू की UPI सेवा

एसबीआई से पहले यस बैंक (Yes Bank) और एक्सिस बैंक (Axis Bank) ने भी सीबीडीसी ऐप पर मोबाइल डिजिटल रुपए नाम से यूपीआई इंटरऑपरेबिलिटी की शुरुआत की थी।

Last Updated- September 04, 2023 | 1:21 PM IST
E-rupee

भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने ग्राहकों के लिए बड़ा ऐलान किया है। अब स्टेट बैंक के ग्राहकों को डिजिटल तौर पर पेमेंट करने में आसानी होगी। एसबीआई ने आज यानी 4 सितंबर को भारतीय रिजर्व बैंक के सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) पर यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) इंटरऑपरेबिलिटी की सुविधा शुरू कर दी है।

बता दें, एसबीआई दिसंबर 2022 में आरबीआई की रिटेल डिजिटल ई-रुपी प्रोजेक्ट में भाग लेने वाले पहले कुछ बैंकों में से एक था। एसबीआई से पहले यस बैंक (Yes Bank) और एक्सिस बैंक (Axis Bank) ने भी सीबीडीसी ऐप पर मोबाइल डिजिटल रुपए नाम से यूपीआई इंटरऑपरेबिलिटी की शुरुआत की थी।

e-Rupee: जाने क्या है RBI की डिजिटल करेंसी?

यह देश की फिएट मुद्रा (जैसे रुपया, डॉलर या यूरो) का एक डिजिटल संस्करण है। इसे केंद्रीय बैंक जारी करता है। साथ ही इसकी गारंटी भी देता है। यह फिएट मुद्रा के साथ वन टू वन विनिमय योग्य है। प्राइवेट मनी के मौजूदा रूपों जैसे ई-मनी (प्रीपेड वॉलेट में संग्रहीत मनी) या बैंक डिपॉजिट/जमा, जिसे कार्ड या मोबाइल पेमेंट सिस्टम का उपयोग करके इलेक्ट्रॉनिकली ट्रांसफर किया जा सकता है, से यह अलग होगा।

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सीबीडीसी वर्चुअल/क्रिप्टो करेंसी से कैसे अलग?

CBDC निजी संस्थाओं द्वारा जारी क्रिप्टोकरेंसी से अलग है। क्रिप्टोकरेंसी किसी की देनदारी नहीं है। जबकि इसके ठीक विपरीत CBDC केंद्रीय बैंक की देनदारी होगी। क्रिप्टोकरेंसी का वैल्यू इस उम्मीद पर निर्भर करता है कि दूसरे इसका कितना वैल्यू देते हैं और इसका कितना उपयोग करते हैं। सीमित उपयोग और कीमतों में भारी अस्थिरता की वजह से ऐसी प्राइवेट वर्चुअल मुद्राएं अक्सर मनी के कार्यों को प्रभावी ढंग से पूरा करने में विफल हो जाती हैं। क्रिप्टोकरेंसी की कीमत में बहुत उतार-चढ़ाव होता है। क्रिप्टोकरेंसी की माइनिंग होती है। इसके लिए ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल होता है। इसको कोई सरकार या कोई विनियामक (regulatory) अथॉरिटी जारी नहीं करती है। इसके उलट डिजिटल करेंसी को केंद्रीय बैंक जारी करता है।

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इस तरह की प्राइवेट मुद्राएं मनी की ऐतिहासिक अवधारणा में भी कहीं फिट नहीं बैठती। क्योंकि इनका कोई इंट्रिन्सिक वैल्यू/आंतरिक मूल्य नहीं है। कुछ लोगों का मानना है कि ये सोने की तरह हैं, जो भी एकदम सही नहीं है। क्योंकि गोल्ड की तरह न तो ये कमोडिटी हैं और न इनका कोई एस्थेटिक वैल्यू है।
डिजिटल करेंसी को लाने के पीछे भारत समेत विश्व के और भी केंद्रीय बैंकों का एक मकसद प्राइवेट वर्चुअल करेंसी पर लगाम लगाना भी है। हालांकि जानकार इस बात से सहमत नहीं हैं कि CBDC का असर इन प्राइवेट वर्चुअल करेंसी पर होगा। क्योंकि इन मुद्राओं में निवेश करने वाले लोग इसे एसेट क्लास की तरह ट्रीट करते हैं और मुनाफा कमाने के मकसद से इसमें निवेश भी करते हैं। जबकि कुछ लोग अवैध गतिविधियों के लिए इस करेंसी का इस्तेमाल करते हैं।

First Published - September 4, 2023 | 1:21 PM IST

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