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कंपनियों द्वारा शोध पर खर्च में आ रही कमी

Last Updated- December 12, 2022 | 9:02 AM IST

एक तरफ आर्थिक समीक्षा में नवाचार के महत्व के बारे में बात की गई है तो वहीं भारत की कुछ सबसे बड़ी कंपनियां अनुसंधान एवं विकास (आरऐंडडी) के लिए निर्धारित राशि पर धीमी गति से काम कर रही हैं।  
बीएसई 500 सूचकांक में शामिल 434 कंपनियों के विश्लेषण से पता चलता है कि व वित्त वर्ष 2019-20 में आरऐंडडी पर खर्च में 3.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई। कंपनियों के आंकड़े पिछले कुछ वर्षों में खर्च पर दबाव को दर्शा रहे हैं तो वहीं कई कंपनियों का खर्च लगभग शून्य है। कंपनियों ने पिछले सालों से विपरीत 2020 में समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष के दौरान शोध पर कम पैसा खर्च किया।  
वर्ष 2019-20 में उपरोक्त कंपनियों का कुल खर्च 32,127 करोड़ रुपये था। साल 2016-17 में यह 33,727 करोड़ रुपये था। इनमें से अधिकांश खर्च केवल कुछ कंपनियों से आते हैं। ऑटोमोबाइल क्षेत्र नवोन्मेष पर अधिक खर्च करता है। दवा उद्योग ने भी आरऐंडडी पर होने वाले खर्च में अहम योगदान दिया है। धातु एवं पूंजीगत सामान वाली कंपनियों ने आरऐंडडी पर 100 करोड़ रुपये से अधिक की राशि खर्च करने की बात कही है। वैश्विक अनुसंधान एवं विकास खर्च व्यक्तिगत कंपनियों के लिए काफी अधिक है।

First Published - January 29, 2021 | 11:45 PM IST

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