भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) गवर्नर संजय मल्होत्रा (Sanjay Malhotra) ने शुक्रवार को कहा कि केंद्रीय बैंक क्रिप्टोकरेंसी (cryptocurrencies) को लेकर चिंतित है क्योंकि यह वित्तीय स्थिरता को नुकसान पहुंचा सकती है। RBI की मौद्रिक नीति की घोषणा के बाद मीडिया से बातचीत के दौरान मल्होत्रा से जब क्रिप्टोकरेंसी को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने यह जवाब दिया। सवाल में सुप्रीम कोर्ट की पिछले महीने क्रिप्टोकरेंसी पर की गई टिप्पणी का ज़िक्र था।
गवर्नर ने कहा, “क्रिप्टो को लेकर कोई नई जानकारी नहीं है। इस पर सरकार की एक समिति काम कर रही है। जैसा कि आप जानते हैं, हम क्रिप्टो को लेकर चिंतित हैं क्योंकि यह वित्तीय स्थिरता और मौद्रिक नीति को प्रभावित कर सकता है।”
पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से क्रिप्टोकरेंसी को लेकर एक “स्पष्ट नीति” बनाने को कहा था और इसके आर्थिक असर को भी रेखांकित किया था।
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने बिटकॉइन ट्रेड को “हवाला” जैसे अवैध व्यापार के समान बताया था।
Also read: रेपो रेट से लेकर महंगाई तक, RBI की MPC मीटिंग से जुड़ी ये 6 बातें आपकी जेब पर सीधा असर डालेंगी
भारत फिलहाल क्रिप्टोकरेंसी पर एक चर्चा-पत्र (डिस्कशन पेपर) तैयार कर रहा है। इसके लिए एक अंतर-मंत्रालयी समूह (IMG) काम कर रहा है, जिसमें RBI, सेबी और वित्त मंत्रालय के अधिकारी शामिल हैं। यह समूह दुनियाभर के नियमों का अध्ययन कर रहा है।
किसी भी तरह के नियम-कायदे न होने के कारण भारत में क्रिप्टोकरेंसी फिलहाल अवैध नहीं है। यह चर्चा-पत्र सभी संबंधित पक्षों को अपनी राय रखने का मौका देगा, ताकि भारत क्रिप्टोकरेंसी पर अपनी नीति तय कर सके।
साल 2022 में सरकार ने क्रिप्टोकरेंसी से होने वाले मुनाफे पर सीधा 30% टैक्स लगाने की घोषणा की थी। हालांकि, क्रिप्टोकरेंसी से होने वाली आमदनी पर टैक्स लगाने से भारत में क्रिप्टोकरेंसी को वैध नहीं माना गया है।
फिलहाल भारत में क्रिप्टो एसेट्स को कोई विशेष नियामक दायरा नहीं मिला है। यहां इन्हें मनी लॉन्ड्रिंग रोधी कानून के नजरिए से नियंत्रित किया जाता है। इसके अलावा, ऐसी वर्चुअल डिजिटल संपत्तियों की ट्रेडिंग से होने वाली आय पर इनकम टैक्स और टीडीएस लगाया जाता है। साथ ही, क्रिप्टो एक्सचेंजों पर जीएसटी भी लागू होता है।
Also read: Repo Rate घटने के बाद Home Loan की घटेगी EMI? 20 साल के लिए ₹50 लाख लोन पर समझें कैलकुलेशन
ध्यान देने वाली बात है कि 4 मार्च 2021 को सुप्रीम कोर्ट ने RBI का 6 अप्रैल 2018 का सर्कुलर रद्द कर दिया था, जिसमें बैंकों और RBI द्वारा विनियमित संस्थाओं को वर्चुअल करेंसी से जुड़ी सेवाएं देने पर रोक लगाई गई थी।