भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर संजय मल्होत्रा | फाइल फोटो
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने आज संकेत दिया कि बुधवार से लागू होने वाले 50 फीसदी अमेरिकी शुल्क से अगर देश की आर्थिक वृद्धि प्रभावित होती है तो केंद्रीय बैंक नीतिगत उपाय कर सकता है।
मल्होत्रा ने यह भी कहा कि आरबीआई का इरादा वाणिज्यिक बैंकों के लिए अप्रैल, 2027 से बाजार, ऋण और परिचालन जोखिम के लिए बेसल-3 नियमों को लागू करने का है। इसके लिए ऋण जोखिम और अनुमानित ऋण हानि से संबंधित दिशानिर्देश का मसौदा जल्द ही जारी किया जाएगा।
फिक्की-आईबीए के वार्षिक बैंकिंग सम्मेलन में मल्होत्रा ने श्रोताओं के एक सवाल के जवाब में कहा, ‘हमने बैंकिंग क्षेत्र को पर्याप्त तरलता प्रदान की है और अर्थव्यवस्था की वृद्धि को बढ़ावा देने और सर्वाधिक प्रभावित क्षेत्रों के लिए जो कुछ भी आवश्यक है वह किया है। यदि आगे भी जरूरत पड़ती है तो हम पीछे नहीं हटेंगे।’
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं के बीच मुद्रास्फीति को काबू में रखते हुए रिजर्व बैंक ने आर्थिक वृद्धि से कभी ध्यान नहीं हटाया। उन्होंने कोविड काल के पिछले उदाहरणों का हवाला दिया जब वृद्धि दर धीमी थी और हाल में जब मुद्रास्फीति कम थी तो मौद्रिक नीति समिति ने ब्याज दर घटाने का निर्णय लिया।
मल्होत्रा ने कहा, ‘हम वृद्धि के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए मूल्य स्थिरता के प्राथमिक उद्देश्य के साथ मौद्रिक नीति का संचालन जारी रखेंगे।’ केंद्रीय बैंक की छह सदस्यों वाली मौद्रिक नीति समिति ने फरवरी से जून के दौरान रीपो दर में 100 आधार अंक की कटौती की है। अगस्त की समीक्षा में रीपो दर 5.5 फीसदी पर अपरिवर्तित रखी गई थी।
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि अमेरिकी द्वारा 26 फीसदी शुल्क का प्रस्ताव करने के बाद केंद्रीय बैंक ने अप्रैल में चालू वित्त वर्ष के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि का अनुमान घटाकर 6.5 फीसदी कर दिया था। इस बीच डॉनल्ड ट्रंप प्रशासन ने रूस से तेल खरीदने की वजह से भारत पर अतिरिक्त शुल्क लगाने की घोषणा की है। हालांकि उन्होंने कहा कि शुल्क का कुल प्रभाव न्यूनतम होगा मगर रत्न एवं आभूषण, कपड़ा, परिधान और एमएसएमई जैसे क्षेत्रों पर असर पड़ सकता है।
मल्होत्रा ने शुल्क से संबंधित अनिश्चितताओं से उत्पन्न चुनौतियों के बीच वृद्धि को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा, ‘हम महत्त्वपूर्ण मोड़ पर हैं क्योंकि हम बढ़ते व्यापार अनिश्चितता और लगातार भू-राजनीतिक तनाव वाले अस्थिर वैश्विक आर्थिक माहौल में हैं। हमें वृद्धि की सीमाओं को आगे बढ़ाने की जरूरत है।’ मल्होत्रा ने कहा कि आने वाले वर्षों में भारत तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के लिए तैयार है।
वित्तीय क्षेत्र के बारे में मल्होत्रा ने कहा कि ऋण के अन्य स्रोतों में वृद्धि के बावजूद भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा विनियमित बैंक, एनबीएफसी, हाउसिंग फाइनैंस कंपनियां और वित्तीय संस्थान अभी भी वास्तविक अर्थव्यवस्था की लगभग 73 फीसदी ऋण जरूरतों को पूरा करते हैं जिनमें बैंकों की हिस्सेदारी करीब 53 फीसदी है।
मल्होत्रा ने कहा, ‘समुचित तरलता, बेहतर परिसंपत्ति गुणवत्ता और उचित लाभप्रदता के साथ बैंकों के पास पर्याप्त पूंजी है।’ उन्होंने ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक कारोबारी सुगमता बढ़ाने का प्रयास करेगा।