प्रमुख क्षेत्र का उत्पादन 6.8 प्रतिशत बढ़ा

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 12, 2022 | 5:18 AM IST

भारत के 8 प्रमुख बुनियादी ढांचा उद्योगों की वृद्धि दर मार्च महीने में एक साल पहले की समान अवधि की तुलना में 6.8 प्रतिशत ज्यादा है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक यह 32 महीने का उच्च स्तर है। खासकर कम आधार की वजह से ऐसा हुआ है।
देशबंदी होने की वजह से पिछले साल अप्रैल महीने में प्रमुख क्षेत्र के उत्पादन में 37.9 प्रतिशत का संकुचन आया था।  आने वाले महीनों में संकुचन कम हुआ था, लेकिन धनात्मक वृद्धि केवल दिसंबर और जनवरी में हुई। दरअसल फरवरी महीने में 3.8 प्रतिशत की गिरावट हुई थी, जबकि उसके पहले के महीनों में मामूली बढ़ोतरी हुई थी। अप्रैल मार्च 2020-21 के दौरान संचयी वृद्धि 7 प्रतिशत थी।
विशेषज्ञों का कहना है कि मार्च महीने में तेज वृद्धि की व्याख्या सावधानीपूर्वक की जानी चाहिए और यह ट्रेंड अगले दो महीने तक जारी रहेगी। केयर रेटिंग में मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा, ‘प्रमुख क्षेत्र के लिए मार्च, अप्रैल और मई महीने में वृद्धि के आंकड़े और औद्योगिक वृद्धि ज्यादा रहने की उम्मीद थी और इससे भ्रम होता है कि पिछले साल की तेज गिरावट के बाद वापसी हुई है। दरअसल मार्च लॉक डाउन की शुरुआत था,  जिससे आर्थिक गतिविधियां पीछे गईं जबकि उसके बाद तेज गिरावट आई।’
आठ क्षेत्रों स्टील, सीमेंट, बिजली और प्राकृतिक गैस में मार्च महीने में दो अंकों की वृद्धि दर्ज हुई। आंकड़ों को देखने से पता चलता है कि स्टील और सीमेंट का उत्पादन भी पहले के साल की समान अवधि की तुलना में मार्च, 2020 में तेजी से गिरा था। एक हद तक तेज बढ़ोतरी की वजह आधार का असर है क्योंकि सरकार ने मार्च 2020 के अंतिम सप्ताह में देशबंदी कर दी थी।
सबनवीस ने कहा, ‘बहरहाल बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में होने वाली साल के अंत की तेजी के असर से भी सीमेंट और स्टील पर खासकर असर पड़ता है। राज्यों और केंद्र ने अपने पूंजीगत खर्च में बढ़ोतरी की है, जिसका असर इन आंकड़ों में दिख रहा है।’
शेष क्षेत्रों कोयला, कच्चा तेल, उर्वरक और रिफाइनरी उत्पादों को अभी पिछले साल के स्तर पर पहुंचना है।
विशेषज्ञों का कहना है कि स्थानीय लॉकडाउन के बावजूद प्रमुख क्षेत्रों की वृद्धि मुख्य रूप से म आधार के कारण अप्रैल में भी तेज बनी रहेगी। इक्रा में मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, ‘हमने पाया है कि अप्रैल 2021 में गतिविधियों में सुस्ती रही है और स्थानीय स्तर पर लॉकडाउन लगाए जाने के कारण बिजली की मांग, वाहनों के पंजीकरण और जीएसटी ईवे बिल के सृजन में सुस्ती आई है। उदाहरण के लिए बिजली की मांग में अखिल भारतीय स्तर पर 1-9 अप्रैल, 2021 के बीच कम आधार के कारण सालाना 48 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है, वहीं 10 से 25 अप्रैल के बीच यह वृद्धि घटकर 36 प्रतिशत रह गई।’
 

First Published : April 30, 2021 | 11:41 PM IST