श्रम मंत्रालय असंगठित क्षेत्र के लिए सरकार की प्रमुख पेंशन योजना, प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन (पीएम-एसवाईएम) योजना के एक्चुरियल वैल्युएशन के लिए एक्चुअरी नियुक्त करने जा रहा है। यह योजना मार्च 2019 में पेश की गई थी, लेकिन 5 साल बाद भी रफ्तार नहीं पकड़ सकी।
श्रम मंत्रालय द्वारा इस माह की शुरुआत में जारी प्रस्ताव अनुरोध (आरएफपी) में कहा गया है, ‘एक्चुअरी को एक्चुरियल अवधारणाओं और विश्लेषण के आधार पर एक वित्तीय मॉडल विकसित करके योजना की दीर्घकालिक वित्तीय स्थिरता का आकलन करना होगा, ताकि पेंशन योजना में सुझाए गए भविष्य के परिवर्तनों के प्रभाव का निर्धारण किया जा सके, जैसे अंशदान दरों का पुनर्मूल्यांकन/पुनर्निर्धारण, योजना का लाभ केवल बीमाधारक और उसके जीवनसाथी तक सीमित करना आदि।
इसमें कहा गया है कि एक्चुअरी वित्त वर्ष 22 से शुरू होने वाले प्रत्येक वित्तीय वर्ष के अंत में पीएम-एसवाईएम योजना की परिसंपत्तियों और देनदारियों का एक्चुरियल वैल्युएशन भी करेगा। इसमें मानधन योजना के भविष्य की देनदारी की जरूरतों, पूंजी का अनुमानित मूल्य और वित्तपोषण में कमी को देखते हुए एक्चुरियल वैल्यू का अनुमान लगाया जाएगा।
प्रस्ताव में यह भी अपेक्षा की गई है कि एक्चुअरी, अंतर वित्तपोषण के प्रावधानों पर विचार करने के बाद सरकार द्वारा गारंटीकृत पीएम-एसवाईएम योजना के तहत लाभ के कारण देयता का अनुमान लगाएगा और वार्षिक आधार पर 2038-2039 की अवधि से गारंटी वाली पेंशन देयता को पूरा करने के लिए योजना के लिए धन की जरूरत का अनुमान लगाएगा।
इस योजना की घोषणा 2019 के अंतरिम केंद्रीय बजट में तत्कालीन वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने की थी। योजना में अगले 5 साल में करीब 10 करोड़ लोगों को शामिल किए जाने का लक्ष्य था।
यह योजना 18 से 40 साल की उम्र के कामगारों के लिए है, जिनकी मासिक आमदनी 15,000 रुपये या इससे कम है और वे कर्मचारी भविष्य निधि या कर्मचारी राज्य बीमा निगम जैसी योजनाओं में शामिल नहीं हैं। आरएफपी के मुताबिक इस योजना में वित्त वर्ष 2024 के आखिर तक 49.9 लाख कामगार शामिल हुए हैं और इसमें 3,414 करोड़ रुपये का कोष एकत्रित किया गया है।