नई परियोजनाओं में कमी आई

Published by
बीएस संवाददाता
Last Updated- December 11, 2022 | 10:28 PM IST

सितंबर तिमाही की तुलना में दिसंबर तिमाही में नई परियोजनाओं में 6.3 प्रतिशत की कमी आई है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) के मुताबिक अभी समाप्त तिमाही के दौरान नई परियोजनाओं का मूल्य महज 2.1 लाख करोड़ रुपये रहा है, जो सितंबर तिमाही के 2.2 लाख करोड़ रुपये की तुलना में कम है। बहरहाल दिसंबर 2020 को समाप्त तिमाही मेंयह 1.5 लाख करोड़ रुपये था, जो कोविड-19 महामारी का पहला साल था।
यह आंकड़ा आठ प्रमुख उद्योगों के सूचकांक, प्रमुख क्षेत्र की वृद्धि के नवंबर के आंकड़े के मुताबिक है,  जिसमें 2021 के शुरुआत के बाद से सबसे कम वृद्धि दर्ज की गई थी। सीमेंट का उत्पादन पहले साल की तुलना में कम हो गया। वहीं सूचकांक के अन्य उद्योगों जैसे कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पादों,स्टील और बिजली के उत्पादन में कमी आई, सिर्फ उर्वरक का उत्पादन मामूली बढ़ा था। विशेषज्ञों ने कहा कि इसकी वजह यह है कि इस समय रबी की फसल की बुआई चल रही है।
बहरहाल पूरी हो चुकी परियोजनाओं का मूल्य लगातार दूसरे महीने बढ़कर 1.4 लाख करोड़ रुपये हो गया, जो 1.15 लाख करोड़ रुपये था। आने वाले समय में इस पर नजदीकी से नजर रखनी होगी क्योंकि ओमीक्रोन वैरिएंट के मामले बढ़ रहे हैं। कंपनियां ऐसे समय में क्षमता बढ़ाने में निवेश करती हैं, जब उनकी मौजूदा उत्पादन क्षमता कम पड़ती है। इस तरह का निवेश पृष्ठभूमि में चला गया है, क्योंकि महामारी के कारण मांग गिर रही है। 2020 के शुरुआत में पहले की लहर के दौरान क्षमता उपयोग पर असर पड़ा था।
भारतीय रिजर्व बैंक के जून तिमाही के आवधिक ऑर्डर बुक, भंडारण और क्षमता उपयोग सर्वे (ओबीआईसीयूएस)  में कहा गया है, ‘कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के कारण देश के तमाम इलाकों में कुछ प्रतिबंध लगाए गए, जिसका भारतीय विनिर्माण क्षेत्र के क्षमता उपयोग (सीयू) पर विपरीत असर पड़ा।  बहरहाल यह असर वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही में कम गंभीर रहा क्योंकि पहली लहर की तुलना में लॉकडाउन और अन्य प्रतिबंध कम थे।’ जून 2020 तिमाही के दौरान राष्ट्रीय स्तर के लॉकडाउन के कारण क्षमता उपयोग कम हुआ था।
रिजर्व बैंक के नोट के मुताबिक, ‘कुल मिलाकर विनिर्माण क्षेत्र का क्षमता उपयोग 2021-2022 की पहली तिमाही में घटकर 60 प्रतिशत पर आ गया, जो इसके पहले की तिमाही में  68.4 प्रतिशत था। एक साल पहले की समान अवधि मेंं यह 47.3 प्रतिशत था।’
रेटिंग एजेंसी इक्रा में मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा था कि कुछ क्षेत्रों में क्षमता विस्तार हो रहा है। सरकार की उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (पीएलआई) से भी विनिर्माताओं को बढ़ावा मिल रहा है। पीएलआई योजना भारत में विनिर्मित उत्पादों के लिए कंपनियों को प्रोत्साहन देती है।
क्वांटम म्युचुअल फंड में फंड मैनेजर-इक्विटी, सौरभ गुप्ता ने कहा कि पहले के साल में निवेश सुस्त रहा है, जिससे भारत में अतिरिक्त क्षमता जोडऩे की संभावना बनती है। मौजूदा अनिश्चितता इसे प्रभावित कर सकती है। उन्होंने कहा, ‘नई क्षमता जोडऩे में आगे और देरी हो सकती है।’
 

First Published : January 2, 2022 | 11:30 PM IST