हर शुक्रवार को जारी होने वाला थोक मूल्य सूचकांक इस साल के अंत से हर सप्ताह के बजाय हर महीने रिलीज किया जाएगा। यानी अब मुद्रास्फीति के आंकड़े लगातार 52 सप्ताह के बदले मात्र 12 बार ही जारी किए जाएंगे।
हालांकि सरकार कुछ जरूरी जिंसों के दामों के बारे में साप्ताहिक आंकड़े प्रकाशित करती रहेगी और इसमें खासकर कृषि उत्पादों को भी शामिल किया जाएगा। यह योजना भी बनाई जा रही है कि अगले महीने से थोक मूल्य सूचकांक में शामिल आवश्यक जिंसों के वास्तविक थोक मूल्य को भी साप्ताहिक सूचकांक के साथ जारी किया जाए।
एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि मासिक स्तर पर वास्तविक दामों को मध्य मई से ही जारी करने की प्रक्रिया शुरू होने की संभावना है।औद्योगिक नीति एवं संवर्द्धन विभाग (डीआईपीपी) थोक मूल्य सूचकांक को संग्रहित और निर्धारित करने वाली एक नोडल एजेंसी है। डीआईपीपी के एक अधिकारी ने बताया कि इस नए डब्ल्यूपीआई में आधार वर्ष को 1993-94 के बदले 2004-05 रखने की कोशिश होगी।
उन्होंने कहा कि इस नए सूचकांक में 435 के बदले 900 सामग्रियों को भी शामिल किया जाएगा।योजना आयोग के सदस्य अभिजीत सेन की अध्यक्षता में नए डब्ल्यूपीआई सूचकांक के बारे में रिपोर्ट जल्दी आने की संभावना है। इस नए सूचकांक में विनिर्मित उत्पादों के बजाय ईंधन को ज्यादा भार दिए जाने की संभावना है।
इसके अतिरिक्त सूचकांक में उत्पादों के प्राइस कोटेशन की संख्या भी 1918 से बढ़कर 6000 होने की संभावना है। इसके प्रभाव में आने से आंकड़ों के संग्रह की प्रक्रिया और तेज हो जाएगी। सरकार इस नए सूचकांक को लाने से पहले इसका परीक्षण कराना चाहती है।
डीआईपीपी के अधिकारियों के लिए एक सरदर्द यह है कि जब डबल्यूपीआई को विस्तारित किया जाएगा तो इसे हरेक सप्ताह रिलीज करना मुश्किल हो जाएगा। अधिकारियों का कहना है कि अभी जो मुद्रास्फीति की दर में बढ़ोतरी हो रही है उसका प्रभाव साप्ताहिक आंकड़ों में ज्यादा सटीक तौर पर देखने को नहीं मिलेगी। इसमें सब कुछ एक सांख्यिकीय आंकडों का खेल है।
काफी लंबे अरसे के बाद सरकार डब्ल्यूपीआई और सेवा मूल्य सूचकांक को जोड़कर एक उत्पाद मूल्य सूचकांक बनाने की योजना बना रही है। इसके प्रारूप को अभी बनाया जा रहा है। अधिकारी ने बताया कि इस उत्पाद मूल्य सूचकांक में हर तरह के मूल्यों की गतिशीलता को समाहित किया जा रहा है। इसमें लागत मूल्यों के साथ उत्पाद सामग्री पर मिल रहे मूल्यों की भी गणना की जाएगी।
सरकार डब्ल्यूपीआई और पीपीआई दोनों को एक साथ कुछ समय तक के लिए ला सकती है लेकिन उसके बाद केवल पीपीआई आंकड़े ही रिलीज किए जाने की संभावना है। आंकड़ों की अनुपलब्धता तथा सटीकता में कमी की वजह से साप्ताहिक के बदले मासिक सूचकांक ज्यादा प्रासंगिक माना जा रहा है।