साल 2022 में डॉलर अरबपति प्रवर्तकों की संख्या और उनकी संपत्तियों में 2021 के अंत के मुकाबले गिरावट दर्ज की गई है। इसके बावजूद भारत के सबसे अमीर प्रवर्तक कहीं अधिक धनवान हो गए। इनमें गौतम अदाणी का प्रदर्शन काफी शानदार रहा। कैलेंडर वर्ष 2022 में भारत के सबसे अमीर प्रवर्तकों की सूची में गौतम अदाणी 135.7 अरब डॉलर की शुद्ध हैसियत के साथ रिलायंस इंडस्ट्रीज के मुकेश अंबानी को पछाड़कर पहले पायदान पर काबिज हो गए। साल 2021 के अंत में उनकी शुद्ध हैसियत 80 अरब डॉलर थी और इसके मुकाबले उनकी शुद्ध हैसियत में 69.6 फीसदी का इजाफा हुआ।
कैलेंडर वर्ष 2021 की सूची में शीर्ष पायदान पर रहे मुकेश अंबानी के परिवार की शुद्ध हैसियत कैलेंडर वर्ष 2022 की सूची में 2.5 फीसदी घटकर 101.75 अरब डॉलर रह गई। कैलेंडर वर्ष 2021 के अंत में अंबानी परिवार की शुद्ध हैसियत 104.4 अरब डॉलर थी। प्रवर्तकों की शुद्ध हैसियत में 23 दिसंबर 2022 तक उनके परिवार के सदस्यों के स्वामित्व वाले शेयरों का मूल्य और परिवार के स्वामित्व वाली कंपनियां/ट्रस्ट शामिल हैं। बाजार मूल्य समूह की कंपनियों में शुद्ध क्रॉस होल्डिंग को दर्शाता है।
यह रुझान ऐसे समय में सामने आया है जब रूस-यूक्रेन युद्ध, उच्च मुद्रास्फीति, जिंस कीमतों में भारी उतार-चढ़ाव और नकदी प्रवाह में सख्ती के बीच ब्याज दरों में तेजी के कारण भारतीय एवं वैश्विक शेयर बाजारों में काफी उतार-चढ़ाव दिख रहा है। इसका प्रभाव भारत के शीर्ष 10 अरबपतियों की सूची पर भी दिख रहा है। इस सूची में केवल तीन अरबपतियों की शुद्ध हैसियत में बढ़ोतरी हुई है। इनमें अदाणी, सन फार्मा के दिलीप सांघवी और भारती एयरटेल के सुनील भारती मित्तल शामिल हैं।
मित्तल की शुद्ध हैसित में बढ़त को मुख्य तौर पर एयरटेल से रफ्तार मिली जिसे मोबाइल सेवा ऑपरेटरों द्वारा शुल्क दरों में वृद्धि किए जाने का फायदा मिला है। इसके अलावा एयरटेल नियामकीय मामलों में स्पष्टता और स्थिर कारोबारी माहौल से भी लाभान्वित हुआ है। सन फार्मा के प्रदर्शन में सुधार से सिंघवी को फायदा हुआ। उत्तर अमेरिका और घरेलू बाजार में मजबूत प्रदर्शन के बूते कंपनी बेहतर आंकड़े जुटाने में सफल रही। एवेन्यू सुपरमार्ट के राधाकृष्ण दमानी भारत के तीसरी सबसे धनाढ्य प्रवर्तक हैं।
इनकी शुद्ध हैसियत 23.8 अरब डॉलर है मगर इसमें पिछले एक साल के दौरान 21 प्रतिशत की कमी आई है। कोविड महामारी के बाद दमानी की शुद्ध हैसियत में तेजी आई और डीमार्ट का शेयर मार्च 2020- दिसंबर 2021 के बीच 2.5 गुना उछल गया। मगर भारतीय और वैश्विक अर्थव्यवस्था में गतिविधियां तेज होने के बाद शेयर की कीमत में कमी आई है।
शीर्ष दस प्रवर्तकों की सूची में एचसीएल टेक्नोलॉजिज के शिव नाडर, एशियन पेंट्स के अश्विन दानी, अमृता वकील और मनीष चोकसी, विप्रो के अजीम प्रेमजी, बजाज ग्रुप के संजीव और राजीव बजाज तथा कोटक महिंद्रा बैंक के उदय कोटक शामिल हैं। 2022 में गौतम अदाणी के लगातार आगे बढ़ने की वजह उनसे समूह की सभी कंपनियों के शेयरों में तेजी रही। अंबुजा सीमेंट्स, एसीसी और हाल में एनडीटीवी के अधिग्रहण से भी अदाणी की शुद्ध हैसियत में तेजी आई। इन तीनों कंपनियों के आने से कैलेंडर वर्ष 2022 में अदाणी की शुद्ध हैसियत में 68,000 करोड़ रुपये का इजाफा हुआ।
1 अरब डॉलर से अधिक शुद्ध हैसियत रखने वाले प्रवर्तकों की संख्या कम होकर 120 रह गई, जो कैलेंडर वर्ष 2021 के अंत में 142 थी। इन प्रवर्तकों की संयुक्त हैसियत 8.8 प्रतिशत कम होकर 685 अरब डॉलर (56.5 लाख करोड़ रुपये) रह गई। कैलेंडर वर्ष 2021 के अंत में इनकी संयुक्त हैसियत 751.6 अरब डॉलर (56.62 लाख करोड़ रुपये) थी।
1 अरब डॉलर से अधिक शुद्ध हैसियत रखने वाले सभी 116 प्रवर्तकों की संपत्ति दिसंबर 2021 के अंत में कम हो गई। इसकी तुलना में एसऐंडपी बीएसई सेंसेक्स कैलेंडर वर्ष 2021 की तुलना में कैलेंडर वर्ष 2022 में 2.7 प्रतिशत ऊपर है। इसकी तुलना में बीएसई पर सूचीबद्ध सभी कंपनियों का संयुक्त बाजार पूंजीकरण इस अवधि में 2.3 प्रतिशत की तेजी के साथ 272 लाख करोड़ रुपये है। 31 दिसंबर 2021 के अंत में यह 266 लाख करोड़ रुपये था।
2022 में अरबपतियों की सूची से जो लोग बाहर हुए उनमें टानला सॉल्युशंस के उदय कुमार रेड्डी (शुद्ध हैसियत में 66 प्रतिशत कमी), मेट्रोपोलिस हेल्थकेयर के सुशील कनुभाई शाह (शुद्ध हैसियत में 65.7 प्रतिशत कमी), वन97 कम्युनिकेशंस के विजय शेखर शर्मा (शुद्ध हैसियत में 66 प्रतिशत कमी) और सी के बिड़ला (शुद्ध हैसियत में 43.4 प्रतिशत कमी) शामिल हैं। इस साल अरबपतियों की सूची में आईआईएफएल फाइनैंस के निर्मल जैन और वेंकटरमण राजमणि तथा कैप्री ग्लोबल के राजेश शर्मा भी आए।