PM Modi addressing 'India Steel 2025'
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इंडिया स्टील 2025 कार्यक्रम के दौरान अपने भाषण में भारत के स्टील सेक्टर में हुई प्रगति का लेखा-जोखा रखते हुए बताया कि भारत अब विश्व का दूसरा सबसे बड़ा स्टील उत्पादक बन गया है। नेशनल स्टील पॉलिसी के तहत भारत ने 2030 तक 300 मिलियन टन स्टील उत्पादन का लक्ष्य रखा है। इतना ही नहीं भारत में निर्मित स्टील से देश का पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत बना है और इस्पात का योगदान चंद्रयान जैसे मिशनों में भी देखने को मिला है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार 24 अप्रैल को मुंबई में आयोजित इंडिया स्टील hr2025 कार्यक्रम के दौरान वीडियो संदेश के माध्यम से अपने विचार साझा किए। सभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि आने वाले दो दिनों में भारत के उदीयमान क्षेत्र—स्टील उद्योग—की संभावनाओं और अवसरों पर विचार-विमर्श किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र भारत की प्रगति की नींव है, एक विकसित भारत का आधार मजबूत करता है और देश में परिवर्तन का नया अध्याय लिख रहा है। प्रधानमंत्री ने सभी को इंडिया स्टील 2025 में स्वागत किया और विश्वास जताया कि यह कार्यक्रम नए विचारों को साझा करने, नई साझेदारियों के निर्माण और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए एक लॉन्चपैड के रूप में कार्य करेगा। यह आयोजन स्टील क्षेत्र में एक नए अध्याय की नींव रखेगा।
प्रधानमंत्री ने कहा, “स्टील ने आधुनिक अर्थव्यवस्थाओं में एक ढाचें की तरह महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है”, यह बताते हुए कि चाहे वह गगनचुंबी इमारतें हों, शिपिंग, हाईवे, हाई-स्पीड रेल, स्मार्ट सिटी या औद्योगिक गलियारे—हर सफलता की कहानी के पीछे स्टील की ताकत है। भारत 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लक्ष्य की ओर अग्रसर है और स्टील क्षेत्र इस मिशन में अहम भूमिका निभा रहा है”।
Also read : Explainer: क्या है Trump Tariff? क्यों लगाया? कैसे वसूलेगा US दूसरे देशों से; जानें हर बात
यह बताते हुए कि भारत को विश्व का दूसरा सबसे बड़ा स्टील उत्पादक होने पर गर्व है। उन्होंने बताया कि नेशनल स्टील पॉलिसी के तहत भारत ने 2030 तक 300 मिलियन टन स्टील उत्पादन का लक्ष्य रखा है। फिलहाल भारत में प्रति व्यक्ति स्टील खपत लगभग 98 किलोग्राम है, जो 2030 तक 160 किलोग्राम तक पहुंचने की उम्मीद है। यह बढ़ती खपत न केवल भारत की अवसंरचना और अर्थव्यवस्था के लिए एक ‘गोल्डन स्टैंडर्ड’ है, बल्कि यह सरकार की कार्यकुशलता और दिशा का भी संकेतक है।
Also read: दुनिया की टॉप Audit एजेंसी की रिपोर्ट, इन सेक्टर्स में बरसेगा अब पैसा ही पैसा
पहले भारत उच्च गुणवत्ता वाले स्टील के लिए आयात पर निर्भर था, जो रक्षा और रणनीतिक क्षेत्रों के लिए आवश्यक होता था, लेकिन अब भारत में निर्मित स्टील से देश का पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत बना है और इस्पात का योगदान चंद्रयान जैसे मिशनों में भी देखने को मिला है। उन्होंने कहा कि यह परिवर्तन पीएलआई योजना जैसे प्रयासों के कारण संभव हुआ है, जिसमें हजारों करोड़ रुपये की सहायता दी गई है। उन्होंने कहा कि देश में मेगा-प्रोजेक्ट्स की वजह से उच्च गुणवत्ता वाले स्टील की मांग लगातार बढ़ रही है। उन्होंने बताया कि इस साल के बजट में शिपबिल्डिंग को इन्फ्रास्ट्रक्चर में शामिल किया गया है और भारत का लक्ष्य है कि देश में ही आधुनिक जहाज बनाकर उन्हें अन्य देशों को निर्यात किया जाए।
Trump Tariff से डरना क्यों जरूरी, सबसे ज्यादा सवा 11 लाख करोड़ का है India- US Trade
उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि स्टील उद्योग कुछ चुनौतियों का सामना कर रहा है, जिनमें कच्चे माल की सुरक्षा एक प्रमुख चिंता है, क्योंकि निकेल, कोकिंग कोल और मैंगनीज जैसी सामग्रियों के लिए भारत अब भी आयात पर निर्भर है। उन्होंने वैश्विक साझेदारी को मजबूत करने, आपूर्ति शृंखलाओं को सुरक्षित करने और प्रौद्योगिकी उन्नयन पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता जताई। उन्होंने कहा कि स्टील उद्योग का भविष्य AI, ऑटोमेशन, रीसायक्लिंग, और बाय-प्रोडक्ट उपयोग से तय होगा और इन क्षेत्रों में नवाचार के जरिए प्रयास तेज करने होंगे।
कोकिंग कोल के आयात के प्रभाव पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने वैकल्पिक उपायों की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने DRI रूट जैसी तकनीकों को बढ़ावा देने और कोल गैसीफिकेशन के माध्यम से देश के कोयला संसाधनों का बेहतर उपयोग करने का सुझाव दिया। उन्होंने सभी हितधारकों से इस दिशा में सक्रिय भागीदारी की अपील की।
प्रधानमंत्री ने ग्रीनफील्ड खदानों के उपयोग के मुद्दे पर कहा कि पिछले एक दशक में खनन क्षेत्र में कई सुधार हुए हैं, जिससे लौह अयस्क की उपलब्धता आसान हो गई है। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि आवंटित खदानों का प्रभावी ढंग से उपयोग सुनिश्चित किया जाए ताकि देश के संसाधनों का पूरा लाभ मिल सके। उन्होंने चेतावनी दी कि इसमें देरी से उद्योग को नुकसान हो सकता है।
प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि भारत अब केवल घरेलू विकास पर नहीं, बल्कि वैश्विक नेतृत्व की ओर बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि अब दुनिया भारत को एक विश्वसनीय और उच्च गुणवत्ता वाले स्टील आपूर्तिकर्ता के रूप में देख रही है। उन्होंने विश्वस्तरीय गुणवत्ता बनाए रखने और क्षमताओं को लगातार उन्नत करते रहने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि लॉजिस्टिक्स सुधार, मल्टी-मोडल परिवहन नेटवर्क का विकास और लागत में कमी से भारत एक ग्लोबल स्टील हब बन सकता है।
Explainer: क्या था वक्फ अधिनियम, 1995; क्या है वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024; जानें हर बात