अर्थव्यवस्था

भारत-रूस कृषि संबंध मजबूत, आयात में उछाल और शोध सहयोग पर जोर

भारत-रूस ने कृषि व्यापार और अनुसंधान सहयोग को बढ़ावा देने के लिए द्विपक्षीय बैठक की, जिसमें उर्वरक, पीली मटर और तेलों के आयात पर चर्चा हुई।

Published by
संजीब मुखर्जी   
Last Updated- September 27, 2025 | 11:31 AM IST

रूस पिछले कुछ वर्षों में भारत के महत्त्वपूर्ण रणनीतिक साझेदार के तौर पर उभरा है। गैर तेल और गैर रक्षा क्षेत्रों के साथ-साथ कृषि क्षेत्र भी इस संबंध को बढ़ावा दे रहा है। सूत्रों ने बताया कि रूस के उप प्रधानमंत्री दिमित्री पात्रुशेव ने दोनों देशों के बीच के संबंध को और मजबूत किया है।

अपनी यात्रा के दौरान पात्रुशेव ने शुक्रवार को केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान से भी मुलाकात की है। बैठक के बाद जारी किए गए बयान में चौहान ने कहा कि भारत ने रूस द्वारा देश से कृषि निर्यात पर लगाए गए कुछ फाइटोसैनिटरी और गैर शुल्क बाधाओं पर चिंता जताई है। इसके अलावा, भारत ने आईसीएआर तथा रूस के कृषि अनुसंधान निकायों के बीच कृषि अनुसंधान एवं विकास (आरऐंडडी) के क्षेत्र में और अधिक सहयोग की मांग की है।

साथ ही, चौहान ने कहा कि भारत और रूसी कृषि विद्यार्थियों के बीच जन सहयोग सुनिश्चित करने पर भी सहयोग मांगा गया है। भारत ने पिछले कुछ वर्षों में रूस से उर्वरकों, पीली मटर, सूरजमुखी और सोयाबीन तेलों का आयात बढ़ाया है। सूत्रों ने बताया कि इसके बदले, अमेरिका द्वारा शुल्क बढ़ाने के दबाव के बीच भारत की यूरोपीय संघ के देशों पर अधिक ध्यान देते हुए रूसी समुद्री खाद्य बाजार पर भी नजर है। आंकड़े दर्शाते हैं कि 2022-23 से 2023-24 तक भारत में रूस से उर्वरकों का आयात करीब 26 फीसदी बढ़ा है और समीक्षाधीन अवधि के दौरान भारत के कुल उर्वरक आयात में इसकी हिस्सेदारी भी 20 से बढ़कर 27 फीसदी हो गई है। रूस से आयात में म्यूरेट ऑफ पोटाश, यूरिया और अन्य उर्वरकों का दबदबा है।

इसके अलावा, बीते कुछ वर्षों में भारत ने रूस से बड़ी मात्रा में पीली मटर का भी आयात किया है। व्यापार आंकड़े दर्शाते हैं कि वित्त वर्ष 2024 से वित्त वर्ष 2025 के दौरान रूस से पीली मटर के आयात में करीब 89 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। हालांकि, इस अवधि के दौरान पीली मटर के कुल आयात में करीब 6 फीसदी की गिरावट भी आई है।

एक वरिष्ठ व्यापार अधिकारी ने कहा, ‘रूस के पास करीब 50 लाख टन पीली मटर का विशाल भंडार है और भारत इस फसल के लिए उसके प्रमुख बाजार के तौर पर उभरा है।’ सोयाबीन और सूरजमुखी तेल की बात करें तो आंकड़े दर्शाते हैं कि नवंबर 2024 से अगस्त 2025 के बीच रूस से भारत द्वारा कच्चे सोयाबीन तेल का आयात करीब 60 फीसदी बढ़ा है, जबकि समीक्षाधीन अवधि में कच्चे सूरजमुखी तेल के आयात में भी भारत की हिस्सेदारी 49 फीसदी से बढ़कर 51 फीसदी हो गई है।

First Published : September 27, 2025 | 11:29 AM IST