प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
भारत और यूरोपीय संघ ने इस साल के अंत तक मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) करने का लक्ष्य रखा है। ऐसे में सबकी निगाहें 8 सितंबर से शुरू हो रही 13वें दौर की बैठक पर टिकी हुई है। इस दौर की बातचीत का परिणाम अगले कदमों को निर्धारित करने में महत्त्वपूर्ण होगा, क्योंकि दोनों पक्ष अनसुलझे मुद्दों पर गतिरोध खत्म करने पर राजनीतिक हस्तक्षेप की संभावना पर विचार कर रहे हैं।
इस बातचीत के बाद यूरोपीय आयोग के व्यापार और आर्थिक सुरक्षा आयुक्त मारोस सेफकोविक 12 सितंबर को भारत आएंगे और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल से बातचीत करेंगे, जिसमें अनसुलझे मसलों को हर करने की कवायद होगी।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘8 सितंबर से शुरू होने वाले इस दौर की बातचीत में कुछ मसलों का समाधान करने का लक्ष्य है। अगर हम किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाते हैं तो इस पर राजनीतिक मार्गदर्शन लेंगे।’
दोनों पक्षों ने पारदर्शिता, बेहतर नियामक प्रथाओं, सीमा शुल्क और व्यापार सुविधा, बौद्धिक संपदा अधिकार और आपसी प्रशासनिक सहायता से संबंधित अध्यायों पर पहले ही बातचीत पूरी कर ली है। डिजिटल व्यापार अध्याय पर भी सैद्धांतिक सहमति बन गई है।
भारत की मुख्य चिंताओं में से एक चिंता यूपोरीय संघ की कार्बन बॉर्डर समायोजन व्यवस्था (सीबीएएम) है। इसके तहत यूरोपीय संघ में आने वाले सामान को तैयार करने में कार्बन उत्सर्जन का मूल्य लगाया जाना है। हालांकि यूरोपीय संघ अमेरिकी उत्पादकों को सीबीएएम से कुछ छूट दे रहा है और भारत भी आगामी बातचीत में कुछ छूट पाने के लिए बातचीत करेगा।
इस समय चल रही भूराजनीतिक अनिश्चितताओं और अमेरिका की संरक्षणवादी राजनीति को देखते हुए यूरोपीय संघ से बातचीत तेज की गई है। गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष एंटोनियो कोस्टा और यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन के साथ टेलीफोन पर बातचीत की। नेताओं ने भारत-यूरोपीय संघ (ईयू) एफटीए वार्ता के ‘शीघ्र निष्कर्ष’ के लिए साझा प्रतिबद्धता की पुष्टि की। इस सप्ताह की शुरुआत में वाणिज्य सचिव सुनील बड़थ्वाल भारत और यूरोपीय संघ के बीच प्रस्तावित एफटीए वार्ता का जायजा लेने और उसे आगे बढ़ाने के लिए ब्रसेल्स में थे।