अर्थव्यवस्था

वित्त वर्ष 2025 में रिजर्व बैंक को मिला 3.4 टन शुद्ध सोना, वित्त मंत्री ने दी अहम जानकारी

वित्त वर्ष 2025 में एसपीएमसीआईएल ने 3.4 टन शुद्ध सोना भारतीय रिजर्व बैंक को दिया, जिससे तस्करी रोकथाम और स्वर्ण भंडार मजबूत करने में बड़ी मदद मिली है।

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मोनिका यादव   
Last Updated- June 09, 2025 | 10:42 PM IST

भारत प्रतिभूति मुद्रण तथा मुद्रा निर्माण निगम लिमिटेड (एसपीएमसीआईएल ) ने बीते वित्त वर्ष 2025 में भारतीय रिजर्व बैंक को 3.4 टन परिष्कृत सोना दिया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज यह जानकारी दी है। सीमा शुल्क विभाग द्वारा जब्त किए गए सोने को  परिष्कृत किया गया था।

भारत प्रतिभूति मुद्रण तथा मुद्रा निर्माण निगम लिमिटेड के नए कॉरपोरेट कार्यालय के उद्घाटन समारोह में वित्त मंत्री ने कहा, ‘आपने इसे शुद्ध किया और इसके बाद आपने भारतीय रिजर्व बैंक को भेज दिया। वित्त वर्ष 2025 में आपने अकेले 3.4 टन सोना भारतीय रिजर्व बैंक को दिया है।’ सीतारमण ने कहा भारत प्रतिभूति मुद्रण तथा मुद्रा निर्माण निगम लिमिटेड तिरुमला तिरुपति देवस्थानम और वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड जैसी संस्थाओं से प्राप्त चांदी और सोने के शोधन का कार्य भी करती है।

वित्त मंत्री ने कहा कि एसपीएमसीआईएल ने कीमती धातुओं के शोधन में उल्लेखनीय प्रगति अर्जित की है और खास तौर पर 2021 के बजट के बाद यह काफी तेजी से बढ़ी है। एक महत्त्वपूर्ण नीतिगत बदलाव को याद करते हुए उन्होंने कहा कि पहले जब्त और तस्करी किए गए सभी सोने को भारतीय स्टेट बैंक को सौंप दिया जाता था, जो इसे बाजार में नीलाम कर देता था। इसे हतोत्साहित करने के लिए प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में नीलामी के बजाय सोने को शुद्ध करने और इसे रिजर्व बैंक के स्वर्ण भंडार में जोड़ने का फैसला किया गया।

सीतारमण ने बताया कि तस्करी किए गए सोने के हर मामले में कानूनी प्रक्रिया पूरी होने के बाद एसपीएमसीआईएल रिजर्व बैंक द्वारा अपेक्षित गुणवत्ता मानकों को पूरा करने के लिए इसकी शुद्धि सुनिश्चित करती है। रिजर्व बैंक इस सोने को बुलियन के रूप में रखता है, जिसे वैश्विक स्वर्ण मानकों के अनुरूप होना चाहिए। चूंकि अंतरराष्ट्रीय कीमतें औंस के आधार पर निर्धारित की जाती हैं इसलिए प्रत्येक औंस की शुद्धता वैश्विक बेंचमार्क से मेल खानी चाहिए।

भारत में डिजिटल भुगतान और फिनटेक अपनाने पर जोर दिए जाने के बावजूद, सीतारमण ने कहा कि कि करंसी नोट और सिक्के भी प्रासंगिक बने हुए हैं। उन्होंने कहा, ‘भले ही हम डिजिटल इंडिया, भुगतान, फिनटेक आदि के बारे में बात करते हैं, लेकिन अभी भी प्रचलन के लिए करंसी की आवश्यकता है। हालांकि, यह पहले जितना नहीं है, लेकिन यह अभी भी मौजूद है।’

First Published : June 9, 2025 | 10:27 PM IST