अर्थव्यवस्था

अमेरिकी प्रस्ताव पर अपना रुख तय करने से पहले सरकार ने मांगी उद्योग से राय

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असित रंजन मिश्र
Last Updated- May 09, 2023 | 12:04 AM IST

भारत ने आशंका जताई है कि इंडो-पैसिफिक इकनॉमिक फ्रेमवर्क (IPEF) के आपूर्ति श्रृंखला (सप्लाई चेन) प्रावधान के तहत अमेरिका का प्रस्ताव बहुपक्षीय नियमों का उल्लंघन कर सकता है और इससे नीतिगत बाधा पैदा हो सकती है। सरकार ने अमेरिकी प्रस्ताव पर अपना रुख तय करने से पहले उद्योग की राय मांगी है। अमेरिकी प्रस्ताव के तहत आईपीईएफ के 14 भागीदार देशों से शुल्क में बदलाव और निर्यात प्रतिबंधों पर अग्रिम सूचना देने की बात कही गई है।

आईपीईएफ के चार स्तंभ व्यापार, आपूर्ति श्रृंखला, स्वच्छ अर्थव्यवस्था और निष्पक्ष अर्थव्यवस्था शामिल हैं। भारत ने आईपीईएफ के व्यापार स्तंभ से जुड़ने के मुद्दे पर अभी निर्णय नहीं लिया है। मगर, वह अन्य तीन स्तंभों से जुड़ चुका है। तीसरे दौर की वार्ता सोमवार को सिंगापुर में शुरू हुई जो 15 मई तक जारी रहेगी।

भारत और अमेरिका के वा​णिज्य मंत्रालयों को इस संबंध में जानकारी के लिए ईमेल भेजा गया लेकिन खबर लिखे जाने तक कोई जवाब नहीं आया। आईपीईएफ के सदस्य वै​श्विक सकल घरेलू उत्पाद में 40 फीसदी प्रतिनि​धित्व करते हैं जबकि वै​श्विक व्यापार में उनकी हिस्सेदारी 28 फीसदी है।

इस मामले से अवगत एक व्य​क्ति ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘ऐसा प्रस्ताव दिया गया है कि आईपीईएफ के सभी सदस्य देश शुल्क में बदलाव और निर्यात प्रतिबंध के बारे में अग्रिम सूचना देंगे। हालांकि इससे विश्व व्यापार संगठन  के नियमों का उल्लंघन होता है और सरकार को नीतिगत मामलों में भी नुकसान होने की आशंका है। आम तौर पर इस प्रकार की सूचनाएं उपाय किए जाने के बाद जारी की जाती हैं न कि पहले। इसलिए, उद्योग जगत ने देश के हितों की रक्षा करने की मांग की है।’

अमेरिका के व्यापार प्रतिनिधि इस चर्चा की अगुआई कर रहे हैं जबकि वहां के वाणिज्य मंत्री अन्य तीन मसलों पर बातचीत को आगे बढ़ा रहे हैं। सूत्र ने कहा, ‘भारत व्यापार चर्चा का हिस्सा नहीं है इसलिए शुल्कों में बदलाव और निर्यात पाबंदियों से जुड़ी प्रतिबद्धताओं पर चर्चा में यह शामिल नहीं है। हालांकि, शुल्कों में बदलाव और निर्यात पाबंदी आपूर्ति व्यवस्था में प्रत्यक्ष रूप से जोखिम के रूप में सामने आ रहे हैं।’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल मई में टोक्यो में क्वाड नेताओं के सम्मेलन के दौरान आईपीईएफ में भारत के प्रवेश को औपचारिक रूप दे दिया था। क्वाड के सदस्यों में भारत के अलावा अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका अन्य देश हैं। आईपीईएफ का ढांचा भारत-प्रशांत क्षेत्र के देशों में आपसी आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देना है। इसे इस क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव को कम करने के एक माध्यम के तौर पर देखा जा रहा है।

भारत और अमेरिका को छोड़कर इस संगठन में 12 अन्य देश हैं। इनमें ऑस्ट्रेलिया, ब्रूनेई, फिजी, इंडोनेशिया, जापान, दक्षिण कोरिया, मलेशिया, न्यूजीलैंड, फिलिपींस, सिंगापुर, थाईलैंड और वियतनाम शामिल हैं।

जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के प्राध्यापक विश्वजीत धर ने कहा कि इसकी अपेक्षा पहले से की जा रही थी क्योंकि आईपीईएफ देशों में भारत को छोड़कर दूसरा कोई बाजार नहीं था। उन्होंने कहा, ‘भारतीय बाजार वैश्विक मानकों में अच्छी तरह सुरक्षित है और यह भी जांच के दायरे में आया है। अगर भारत शुल्क ऊंचे स्तर पर रखेगा तो आईपीईएफ देशों के लिए आपूर्ति तंत्र लचीला और प्रतिकूल परिस्थितियों से निपटने वाला नहीं रह जाएगा।’

First Published : May 8, 2023 | 11:58 PM IST