भारत का राजकोषीय घाटा अप्रैल-सितंबर अवधि के दौरान घटकर बजट अनुमान (बीई) का 35 प्रतिशत रह गया है, जो पिछले साल की समान अवधि में बीई का 115 प्रतिशत था। यह कोविड के पहले के स्तर (वित्त वर्ष 20) के 6.5 लाख करोड़ रुपये की तुलना में भी कम है।
सरकार का राजकोषीय घाटा 4 साल के निचले स्तर 5.26 लाख करोड़ रुपये रह सकता है। इसकी मुख्य वजह यह है कि सितंबर में राजस्व में 50 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि हुई है और अग्रिम कर और अप्रत्यक्ष कर में तेज बढ़ोतरी हुई है। महालेखा नियंत्रक के आंकड़ों से पता चलता है कि सरकार को सितंबर तक 10.8 लाख करोड़ रुपये (2021-22 की कुल प्राप्तियों के बजट अनुमान की तुलना में 27.3 प्रतिशत) मिले हैं। इसमें 9.2 लाख करोड़ रुपये कर राजस्व, 1.6 लाख करोड़ रुपये गैर कर राजस्व और 18,118 करोड़ रुपये गैर ऋण पूंजीगत प्राप्तियां हैं।
केंद्र सरकार द्वारा किया गया व्यय 16.3 लाख करोड़ रुपये रहा है।
अर्थशास्त्रियों का कहना है कि चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा बजट अनुमान की तुलना में कम रह सकता है भले ही कुल व्यय बजट अनुमान से ज्यादा हो जाने की उम्मीद है।
इक्रा में मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, ‘हम उम्मीद करते हैं कि वित्त वर्ष 2022 में राजकोषीय घाटा 13.8 से 14.8 लाख करोड़ रुपये या जीडीपी का 6 से 6.5 प्रतिशत रहेगा, जबकि बजट में 15.1 लाख करोड़ रुपये या जीडीपी का 6.8 प्रतिशत राजकोषीय घाटे का अनुमान लगाया गया है।’
बहरहाल नायर ने कहा कि अगर हम अगर 237 अरब रुपये के पहले पूरक अनुदान, रबी सीजन के लिए उर्वरक सब्सिडी में बढ़ोतरी और महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी ऐक्ट (मनरेगा) पर खर्च बढ़ाने की संभावित जरूरत पर नजर डालें तो सरकार का कुल व्यय वित्त वर्ष 22 के बजट अनुमान से ऊपर हो सकता है, लेकिन यह 600 से 800 अरब रुपये ही रहेगा।
विशेषज्ञों का कहना है कि राजकोषीय घाटा न सिर्फ पूरे साल के लक्ष्य के अनुपात में कम है, बल्कि यह वित्त वर्ष 21 और वित्त वर्ष 20 के मूल्य के हिसाब से भी कम रहेगा।
इंडिया रेटिंग्स ऐंड रिसर्च के देवेंद्र पंत ने कहा, ‘वित्त वर्ष 21 के कम आधार से इतर वित्त वर्ष 22 की पहली छमाही में
आर्थिक गतिविधियों के गति पकडऩे से राजस्व का प्रदर्शन बेहतर रहा है।
अप्रैल-सितंबर अवधि के दौरान शुद्ध कर राजस्व वित्त वर्ष 21 और वित्त वर्ष 20 की तुलना में क्रमश: 100.80 प्रतिशत और 51.57 प्रतिशत ज्यादा है। सीमा शुल्क (129.64 प्रतिशत) और कॉर्पोरेट कर (105.14 प्रतिशत) में तेज बढ़ोतरी और पिछले साल की तुलना में केंद्र के कर मेंं राज्योंं की हिस्सेदारी में 0.08 प्रतिशत वृद्धि के कारण मुख्य रूप से ऐसा हुआ है।’
इसके अलावा रिजर्व बैंक ने भी बजट अनुमान की तुलना में ज्यादा धन हस्तांतरण, शुद्ध कर प्राप्तियां, राजस्व प्राप्तियां भी वित्त वर्ष 22 के बजट अनुमान की तुलना में केंद्र को 1.9 लाख करोड़ रुपये अतिरिक्त मिल सकते हैं।