वित्त मंत्रालय ने आज कहा कि कई अहम संकेतकों से सुधार के संकेत मिलने के बाद आगामी त्योहार के महीनों में अर्थव्यवस्था को और बल मिलने की उम्मीद है। बहरहाल आगे यह भी कहा गया है कि कोरोनावायरस के प्रसार और सावधानी के लिए व्यक्तिगत बचत की धारणा बढऩे से अर्थव्यवस्था के प्रसार को लेकर जोखिम है।
आर्थिक मामलों के विभाग ने सितंबर की मासिक आर्थिक समीक्षा में कहा कि सरकार की ओर से अहम सुधार किए जाने से भारत मजबूत और टिकाऊ विकास की लंबी राह पर चलेगा। केंद्र और राज्यों के बीच तनाव को लेकर चल रही आलोचना के बारे में रिपोर्ट में कहा गया है कि केंद्र सरकार राज्यों का समर्थन कर रही है और महामारी के कारण प्राप्तियों पर बहुत बुरा असर पडऩे के बावजूद कर अंतरण बाधित नहीं हुआ है।
अहम आंकड़ों के बारे में इसमें कहा गया है कि वैश्विक मांग बढऩे की वजह से भारत के निर्यात में सितंबर में पिछले साल की तुलना में 5.3 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।
इसके अलावा सितंबर 2020 में भारत का मैन्युफैक्चरिंग पर्चेजिंग मैनेेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) 8 साल के उच्च स्तर 56.8 पर रहा है, जिससे आगामी महीनों में तेजी के संकेत मिलते हैं। जीएसटी संग्रह भी सितंबर महीने में बढ़कर 6 महीने के उच्च स्तर 95,480 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है, जिसमें पिछले सितंबर की तुलना में 3.9 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।
अगस्त और सितंबर के शुरुआत में रेल से ढुलाई भी बढ़ी है और मार्च के बाद ऐसा पहली बार हुआ है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि इसके अलावा एक राज्य से दूसरे राज्य में आवाजाही पर प्रतिबंध में ढील, क्वारंटीन नीति और अनलॉकिंग से भी मदद मिली है।
कॉर्गो से ढुलाई की मात्रा भी सकारात्मक संकेत दे रहा है, जो पहले के साल के स्तर की ओर बढ़ रहा है, जिसमें अगस्त में कम संकुचन आया है। घरेलू हवाई यातायात भी बढ़ रहा है, जिसे आगामी त्योहारों में और गति मिलने की संभावना है। वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही में शुद्ध प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) का आउटफ्लो 0.4 अरब डॉलर रहा, जबकि 2019-20 की पहली तिमाही में इनफ्लो 14 अरब डॉलर था। शुद्ध विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (एफपीआई) वित्त वर्ष 2020-21 की पहली छमाही में 0.6 अरब डॉलर था, जो वित्त वर्ष 2019-20 की पहली तिमाही में 4.8 अरब डॉलर था।
मंत्रालय ने कहा, ‘2020 की पहली छमाही में उभरते प्रतिस्पर्धी देशों की तुलना में भारत मेें सबसे ज्यादा एफपीआई आकर्षित हुआ है।’
जुलाई और अगस्त महीने में प्रमुख घरेलू फर्मों ने रिकॉर्ड पूंजी जुटाई है और वैश्विक ब्याज दरें कम रही हैं। ऐसे में शुद्ध एफपीआई प्रवाह सितंबर महीने में 0.33 अरब डॉलर रहा।
रिपोर्ट में कहा गया है कि जान भी, जहान भी के हिसाब से सामाजिक दूरी से ज्यादा सावधानी के साथ खुद का बचाव बेहतर तरीका है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि नकारात्क पक्ष यह है कि लोग सावधानी बरतते हुए बचत कर रहे हैं, जिसकी वजह से व्यक्गित उपभोग कम होगा और इससे गतिविधियों में तेजी पर असर पड़ेगा। साथ ही भारत के चालू खाते का संतुलन को लेकर भी चिंता है, जो वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही में जीटीपी के 3.9 प्रतिशत पर पहुंच गई है। व्यापार घाटे में तेज गिरावट आई है, जो वाणिज्यिक आयात में तेज कमी आने की वजह से हुआ है।