केंद्र सरकार पर पिछले साल किए गए खर्च की तुलना में व्यय का बोझ अधिक है। खासकर खाद्य और उर्वरक सब्सिडी का बोझ बढ़ा है। वहीं केंद्रीय वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग ने अगस्त महीने में कई व्यय रोक दिया है। बहरहाल विश्लेषकों का कहना है कि यह संकुचन या दबाव नहीं है। केंद्र सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि आवंटित धन खर्च किए जाने के बाद ही आगे धन जारी किया जाए।
पिछले सप्ताह लेखा महानियंत्रक की ओऱ से जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक राजस्व (या प्रशासनिक) व्यय अगस्त में 61,103 करोड़ रुपये रहा है, जो पिछले साल इसी महीने में किए गए 1.24 लाख करोड़ रुपये व्यय से 51 प्रतिशत कम है। वित्त वर्ष 23 में अब तक केवल मई महीने में पिछले साल की तुलना में कम खर्च किया गया था, वह भी पिछले साल के मई की तुलना में मामूली कम है। विश्लेषकों का कहना है कि केंद्र अपने आवंटन में बहुत सावधानी बरत रहा है और सरकार अब सिंगल नोडल एजेंसी (एसएनए) डैशबोर्ड के माध्मय से धन पर बेहतर तरीके से नजर रख पाने में सक्षम है।
भारतीय स्टेट बैंक के मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्यकांति घोष ने कहा, ‘यह संकुचन नहीं है बल्कि राशि को रोके रखना है। सरकार की नकदी की स्थिति बेहतर नजर आ रही है।’इक्रा में मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, ‘एसएनए डैशबोर्ड में बहुत बचत नजर आ रहा है। साल के अंत में बड़ी बचत हो सकती है।’ जैसा कि पहले खबर दी गई थी, एसएनए डैशबोर्ड से उल्लेखनीय रूप से बचत होने की उम्मीद है। अधिकारियों का कहना है कि यह 40,000 से 50,000 करोड़ रुपये तक हो सकता है। केंद्र ने अब तक इस साल कुछ योजनाओं का 1 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा रोक रखा है।