कोविड-19 से बदहाल हुई अर्थव्यवस्था और इससे पैदा हुईं अनिश्चितताएं बरकरार रहने से लोग खर्च करने से गुरेज कर रहे हैं। इससे अर्थव्यवस्था में गिरावट के बाद तेज सुधार (वी-शेप रिकवरी) की उम्मीद भी धूमिल हो रही है। नाजुक हालात के मद्देनजर वित्त मंत्रालय अब सतर्क हो गया है और तेज सुधार के अपने अनुमान की भी समीक्षा
शुरू कर दी है। इस बारे में वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा,’आर्थिक हालात के संकेत देने वाले विभिन्न पहलुओं को ध्यान में रखते हुए हम अनुमान में बदलाव करते रहते हैं। फिलहाल अर्थव्यवस्था धीमी रफ्तार से आगे बढ़ रही है, इसलिए तेज सुधार का हमारा अनुमान सही साबित नहीं हो सकता है।’
अगस्त में मंत्रालय ने अपनी मासिक आर्थिक समीक्षा में कहा था कि देश में आर्थिक गतिविधियां तेजी से बढ़ रही हैं। समीक्षा में कहा गया था कि अप्रैल-जून में लॉकडाउन की वजह से अर्थव्यवस्था में 23.9 प्रतिशत गिरावट आई थी।
अधिकारी ने कहा कि अगस्त में हमारा अनुमान कुछ खास संकेतों जैसे वाहनों एवं ट्रैक्टरों की बिक्री, ई-वेल बिल संग्रह आदि पर आधारित था। इन सभी गतिविधियों में तेजी आई थी और पांबदी धीरे-धीरे समाप्त करने की प्रक्रिया शुरू होने के बाद ये नतीजे सामने आए थे। हालांकि अब जो हालात बने हैं उनसे यही लग रहा है कि लोग अधिक खर्च नहीं कर रहे हैं और जिन लोगों को सरकार से सीधी मदद मिल रही है वे भी बचत करने में लगे हैं। अधिकारी ने कहा, ‘आर्थिक प्रोत्साहन के तहत सरकार ने बड़ी मात्रा में नकदी अंतरित की थी, लेकिन लाभार्थियों ने इनका इस्तेमाल नहीं किया था। इससे संकेत मिल रहे हैं कि लोग अनिश्चितताओं के बीच खर्च से अधिक बचत पर ध्यान दे रहे हैं।’
दूसरे चरण की प्रोत्साहन रकम के बारे में अधिकारी ने कहा कि इस पर काम जारी है और सभी विभागों से उनके सुझाव लिए जा रहे हैं। अधिकारी ने दूसरे चरण के प्रोत्साहन की विस्तार से कोई जानकारी देने से मना कर दिया और केवल इतना कहा कि सरकार कोविड-19 से पैदा हुए स्वास्थ्य संकट में कमी आने का इंतजार कर रही है। सरकार की तरफ से जारी पहले चरण के आर्थिक प्रोत्साहन में 2 लाख करोड़ रुपये (सकल घरेलू उत्पाद का 1 प्रतिशत) का अतिरिक्त व्यय जैसे उपाय शामिल थे।
आखिर मंत्रालय ने तेज सुधार आने का अनुमान क्यों जताया? इस बारे में वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा,’ई-वे बिल, बिजली खपत, सीमेंट, इस्पात की बिक्री, रेल से माल ढुलाई आदि पहलुओं पर गौर करें तो अप्रैल और मई के बाद इनमें 85 से 90 प्रतिशत तक सुधार हो गया था। अगर आप इन आंकड़ों पर गौर करें तो सुधार तो हो रहा है। वी-शेप रिकवरी का मतलब पहले गिरावट और फिर तेजी आना है। विनिर्माण क्षेत्र में यह प्रक्रिया शुरू हो गई है, लेकिन सेवा क्षेत्र में ऐसा नहीं हो पाया हो पाया है।