भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) ने सरकार से चीनी निर्यात नीति में तेजी लाने का आग्रह किया है और कहा कि चीनी विपणन सत्र 2022-23 में कम से कम 80 लाख टन चीनी निर्यात की जरूरत होगी।
मुंबई की हरिनगर मिल्स के निदेशक और इस्मा के सदस्य विवेक पिट्टी ने इस्मा के एक कार्यक्रम में कहा कि उद्योग निकाय का मानना है कि सरकार को चीनी निर्यात में किसी भी प्रचलित प्रणाली को अनुमति देनी चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘चीनी निर्यात नीति या तो वह प्रणाली अपना सकती है जो सत्र 2020-21 में प्रचलित थी या फिर सत्र 2021-22 में प्रचलित ओपन जनरल लाइसेंस प्रणाली।’
उन्होंने कहा, ‘दोनों प्रणालियों का परीक्षण किया जा चुका है और दोनों सफल भी रही हैं। हमारा विनम्र निवेदन है कि अब तीसरी प्रणाली का परीक्षण न करें और न ही उसका प्रयोग करें। चीनी उद्योग के लिए 80 लाख टन चीनी का निर्यात बहुत जरूरी है।’ खाद्य सचिव सुधांशु पांडेय भी कार्यक्रम में मौजूद थे।
सितंबर में खत्म हुए 2021-22 विपणन वर्ष में उम्मीद से अधिक घरेलू उत्पादन के कारण सरकार ने पहले से तय 1 करोड़ टन के अतिरिक्त 12 लाख टन चीनी निर्यात की अनुमति दी थी।
चीनी के बढ़ते उत्पादन से भंडार बढ़ गया और मिलों के बीच निर्यात के लिए कोलाहल बढ़ रहा है। मौजूदा वर्ष (2021-22) में प्रारंभिक अनुमान 2.5 करोड़ टन के मुकाबले 3.6 करोड़ टन चीनी उत्पादन का अनुमान लगाया है।
साल की शुरुआत में इस्मा ने सत्र 2022-23 (अक्टूबर-सितंबर) के लिए भारत में चीनी उत्पादन का अनुमान करीब 3.99 करोड़ टन के कहीं अधिक लगाया था। लचीले ईंधन कारों की जरूरत पिट्टी ने सरकार से लचीले ईंधन वाली गाड़ियों की प्रक्रिया में भी तेजी लाने का आग्रह किया है। इस्मा का मानना है कि यह 2025 तक 20 फीसदी एथनॉल मिश्रण के लक्ष्य को हासिल करने के लिए सहायक होगा और साथ ही जरूरत होने पर प्रदूषण मानदंडों में भी छूट देने का अनुरोध किया है।
लचीले ईंधन और दोहरे ईंधन वाले वाहन एक वैकल्पिक ईंधन वाहन हैं जिसे एक से अधिक ईंधन पर चलने के लिए डिजाइन किया जाता है। आमतौर पर गैसोलिन या तो एथनॉल या मेथनॉल ईंधन के साथ मिश्रित होता है और दोनों ईंधन एक ही सामान्य टंकी में संग्रहित होते हैं। इस्मा ने गन्ने के रस से एथेनॉल के निर्माण के लिए लाभकारी मूल्य भी मांगा है।