देश की राजधानी दिल्ली जुलाई के मध्य में बाढ़ की चुनौतियों से जूझ रही थी जो चार दशकों में सबसे भीषण बाढ़ थी और इसने नागरिक सेवा से जुड़े शहर के शीर्ष अधिकारियों को 13 साल पहले के मॉनसून के भयानक दौर की याद दिला दी। राष्ट्रीय राजधानी को 60 दिन से भी कम समय के भीतर G20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी करनी थी जो अक्टूबर 2010 में राष्ट्रमंडल खेलों के आयोजन के बाद से सबसे महत्त्वपूर्ण आयोजन है।
राष्ट्रमंडल खेल 2020 से पहले एक जनसंपर्क से जुड़ी आपदा, असामान्य रूप से मॉनसून की बारिश का कहर और उसके चलते आई बाढ़ और जलभराव से प्रगति मैदान के शिखर सम्मेलन स्थल, भारत मंडपम के पास की सड़कों के कई प्रमुख हिस्सों की हालत बेहद खराब हो गई। ऐसी स्थिति में कई सरकारी एजेंसियां अलग-अलग मकसद से काम करने के लिए बिल्कुल तैयार नहीं थीं। बाढ़ और जलभराव ने कई महीनों के काम पर पानी फेर दिया और काम की रफ्तार धीमी हो गई और बात इतनी ही नहीं थी बल्कि पहले से पूरा हो चुके कार्यों को भी काफी नुकसान पहुंचा।
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19 जुलाई को, जब शहर बाढ़ से थोड़ा उबरता नजर आता तब दिल्ली के उपराज्यपाल वी के सक्सेना ने जिला स्तरीय निगरानी समितियों (डीएमसी) का गठन किया, जिसमें राष्ट्रीय राजधानी के प्रत्येक जिले के वरिष्ठ अधिकारी शामिल थे, जैसे कि जिलाधिकारी, जिला पुलिस आयुक्त और अन्य नागरिक एजेंसियों के शीर्ष अधिकारी आदि।
वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों के समन्वय और शहर के कई नागरिक प्राधिकरणों के निर्णय लेने वाले शीर्ष अधिकारियों को एक मंच पर लाने वाले डीएमसी को अपने-अपने अधिकार क्षेत्रों में G20 शिखर सम्मेलन की तैयारियों में कोई कसर न रह जाए, इसके विश्लेषण का काम सौंपा गया। इसका उद्देश्य अलग-अलग एजेंसियों के बीच समन्वय स्थापित करना था। पिछले पांच हफ्तों में, इन समितियों ने विभिन्न स्थलों का दौरा करने, उन जगहों की ‘पहले और बाद’ की तस्वीरें और वीडियो पोस्ट करने के साथ ही ई-मॉनिटरिंग मोबाइल ऐप पर नियमित अंतराल पर ‘कार्रवाई करने से जुड़ी रिपोर्ट’ भी अद्यतन किया है।
उपराज्यपाल वी के सक्सेना दिन या रात में किसी भी समय औचक निरीक्षण करने के लिए पहुंचे हैं। हाल ही में उन्होंने रात 2 बजे एक जगह का दौरा किया ताकि वह व्यक्तिगत रूप से उस जगह की ‘पहले और बाद की’ स्थितियों की जांच प्रमाणिकता के साथ कर पाएं। उप-राज्यपाल के कार्यालय ने सड़कों के 61 ऐसे हिस्से चिह्नित किए हैं जिनसे होकर G20 के 30 से अधिक प्रतिनिधिमंडल गुजरेंगे। राष्ट्रीय राजधानी में 23 होटलों के इर्द गिर्द स्थान जगह इन प्रतिनिधि मंडलों के लिए सुरक्षित रखे गए हैं।
सक्सेना ने गुरुवार को एक्स पर लिखा, ‘ जब हम एक स्थान से दूसरे स्थान जाते हैं तो नजर थोड़ा विचित्र लगता है। सड़कों के दोनों किनारे चलने की जगह ठीक नहीं है और कई जगह मैनहोल भी खुले हैं। सड़कों पर दिल्ली में आई बाढ़ के बाद पैदा हुए हालात स्पष्ट दिख जाते हैं । इन्हें भी समय रहते जल्द से जल्द ठीक करना होगा।’
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सक्सेना ने कहा G20 शिखर सम्मेलन से पहले और इस दौरान भारी वर्षा कि किस आशंका से निपटने के लिए एक आपातकालीन योजना तैयार की गई है। उपराज्यपाल के कार्यालय ने 10 ऐसी जगहों की पहचान की है और वहां जल जमाव रोकने के लिए अत्याधुनिक मशीन लगा रखी हैं। मगर वास्तविक और व्यापक लक्ष्य समय उन गलतियों से सीखना है जो 2010 में राष्ट्रमंडल खेलों के दौरान हुई थी। केवल बाढ़ के नियंत्रण से कुछ नहीं होगा।
2020 के राष्ट्रमंडल खेलों के दौरान दो प्रकार के सार्वजनिक बुनियादी ढांचे तैयार किए गए थे। इनमें पहला तात्कालिक जरूरतों को पूरी करने के लिए था जैसे सड़कों में सुधार आदि । दूसरा ढांचा खिलाड़ियों के लिए स्टेडियम तैयार करना आदि से जुड़ा था। एक अधिकारी ने नाम सार्वजनिक नहीं करने की शर्त पर बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि इससे सार्वजनिक या आम लोगों के लिए सुविधाओं का विकास नहीं हुआ। अधिकारी ने कहा कि हमारा प्रयास पार्क, फूड स्ट्रीट्स और आम आदमी के इस्तेमाल के लायक चीजों का विकास करना है।