वैश्विक चीनी कारोबारी 2023-24 सीजन में भारत के चीनी उत्पादन पर उत्सुकता से नजर रख रहे हैं। ऐसे में जमाखोरी से बचने के लिए सरकार ने आज चीनी कारोबारियों, थोक विक्रेताओं, खुदरा विक्रेताओं और प्रॉसेसर्स पर सख्ती बढ़ाने के साथ अतिरिक्त मात्रा में चीनी जारी की है।
2023-24 चीनी सत्र अक्टूबर से शुरू होगा और अगस्त में सूखे के कारण उत्पादन को लेकर कुछ सवाल उठ रहे हैं। लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि सितंबर में मॉनसून की वापसी के साथ स्थिति में कुछ बदलाव हुआ है।
थाईलैंड में उत्पादन घटने के कारण 2023-24 में चीनी का वैश्विक उत्पादन कम रहने का अनुमान है। ऐसे में भारत उन देशों में शामिल है, जो वैश्विक जरूरतें पूरी करने के लिए चीनी का निर्यात करने की स्थिति में रह सकता है।
बहरहाल निर्यात कम करने या बढ़ाने को लेकर अंतिम फैसला अक्टूबर में ही हो सकेगा, जब उत्पादन के अंतिम आंकड़े सामने आएंगे। इस समय निर्यात ‘प्रतिबंधित’ की श्रेणी में है।
कुछ सप्ताह पहले इंटरनैशनल शुगर ऑर्गेनाइजेशन (आईएसओ) ने अपने ताजा अनुमान में कहा था कि 2023-24 चीनी सत्र में वैश्विक चीनी उत्पादन 1,748.3 लाख टन रहेगा, जो 2022-23 में हुए उत्पादन की तुलना में 1.2 प्रतिशत कम है।
आईएसओ ने कहा है कि खपत 1,769.5 लाख टन रहेगी, जिससे चीनी बाजार में मांग की तुलना में आपूर्ति 21.2 लाख टन कम रह सकती है।
चीनी उत्पादन में कमी के अनुमान से इसकी वैश्विक कीमतें पिछले कुछ दिन में बढ़ी हैं।
इंटरनैशनल शुगर ऑर्गेनाइजेशन (आईएसओ) के कार्यकारी निदेशक जोसे ओराइव ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘चीनी की कमी मुख्य रूप से थाईलैंड की वजह से होगी, जो हाल के वर्षों में सबसे भयानक सूखे से जूझ रहा है और उत्पादन हाल फिलहाल के न्यूनतम स्तर पर पहुंचने की संभावना है। साथ ही ब्राजील के मध्य-दक्षिण में चीनी का उत्पादन सवालों के घेरे में है क्योंकि जैव ईंधन नीति के कारण स्थिति तंग है। लेकिन कीमत में तेजी और मौसम की अनिश्चितता के कारण सही सही किसी आंकड़े का अनुमान लगा पाना मुश्किल है।’
ओराइव ने यह भी कहा कि अगर स्थिति अभी के अनुमान के मुताबिक बनी रहती है तो वैश्विक चीनी की कीमतें अपने मौजूदा भाव पर स्थिर हो सकती हैं, जो 25 से 26 सेंट प्रति पाउंड है।
बहरहाल खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने कहा कि सितंबर में बारिश की वापसी से अगले साल के लिए भारत के गन्ने की फसल का परिदृश्य बदल गया है।
शुगर ऐंड बायो एनर्जी कॉन्फ्रेंस के दौरान आज अलग से बातचीत करते हुए खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने कहा, ‘देखिए अगस्त के बाद हम उम्मीद कर रहे थे कि खासकर महाराष्ट्र और कर्नाटक में उत्पादन में कमी आएगी। लेकिन सितंबर में अच्छी बारिश हुई और जिन इलाकों में अगस्त में सूखा था, वहां स्थिति बेहतर हो गई। ऐसे में हम खेत से आंकड़े एकत्र कर रहे हैं। गन्ना आयुक्तों से आंकड़े मंगाए जा रहे हैं। उसके बाद ही अंतिम आंकड़े सामने आ सकते हैं।’
चोपड़ा ने कहा कि चीनी के उत्पादन को लेकर कोई भी अनुमान लगाना अभी जल्दबाजी होगी क्योंकि सितंबर की बारिश से स्थिति व्यापक रूप से सुधरी है।
चोपड़ा ने कहा कि एक बात निश्चित है कि हमारे (भारत) उत्पादन में खपत के हिसाब से कोई कमी नहीं होने जा रही है क्योंकि हम सामान्यतया 370 से 400 लाख टन चीनी का उत्पादन करते हैं और 40 से 45 लाख टन एथनॉल में इस्तेमाल होती है। इस हिसाब से हमारे पास 275 से 280 लाख टन खपत को देखते हुए अतिरिक्त चीनी मौजूद होगी। चोपड़ा ने कहा, ‘इसलिए उत्पादन में कमी की वजह से खपत प्रभावित होने की कोई संभावना नहीं है।’
उन्होंने कहा कि 2022-23 एथनॉल आपूर्ति वर्ष (ईएसवाई) के अंत तक भारत 12 प्रतिशत एथनॉल मिश्रण के लक्ष्य तक पहुंच जाएगा, जो 31 अक्टूबर, 2023 को समाप्त हो रहा है।
उधर केंद्र ने अटकलबाजी करने वालों और जमाखोरी करने वालों पर सख्ती दिखाई है। सरकार ने हर सप्ताह पोर्टल पर स्टॉक के आंकड़े देने को कहा है।
सरकार ने 13 लाख टन चीनी का कोटा भी अक्टूबर महीने के लिए जारी कर दिया है। इससे त्योहारों के समय में चीनी की मांग पूरी की जा सकेगी, जब मांग सामान्यतया अधिक होती है।
चीनी की खुदरा महंगाई अप्रैल 2023 के 1.57 प्रतिशत से बढ़कर अगस्त 2023 में 3.80 प्रतिशत हो गई है। 2023-24 सत्र में उत्पादन में गिरावट के कारण दाम बढ़ रहा है।
एग्रीमंडी के सह संस्थापक और सीईओ उप्पल शाह ने कहा, ‘मॉनसून की बारिश को लेकर बहुत चर्चा चल रही है। यह महत्त्वपूर्ण है कि देश में चीनी के स्टॉक की सही स्थिति को लेकर कोई विसंगति नहीं होनी चाहिए। चीनी के स्टॉक के डिजिटलीकरण से सरकार को जरूरत के मुताबिक नीतिगत फैसले करने में बहुत मदद मिलेगी।’
चोपड़ा ने आरोप लगाया कि चीनी को लेकर कृत्रिम संकट पैदा किया गया है, जिससे दाम बढ़ रहे हैं, जबकि नई फसल और गन्ने की पेराई अभी एक महीने बाद शुरू होगी।
विश्व की प्रमुख कमोडिटी ट्रेडिंग फर्मों में से एक ईडी ऐंड एफ मैन होल्डिंग्स लिमिटेड में शोध के प्रमुख कोना हक ने कहा कि अगले साल भारत द्वारा कच्ची चीनी के निर्यात किए जाने की संभावना कम है क्योंकि चीनी का इस्तेमाल एथनॉल बनाने में किया जाना है। यह सरकार द्वारा अगले कुछ सप्ताह में कीमत की घोषणा पर निर्भर रहने की संभावना है।