इलस्ट्रेशन- बिनय सिन्हा
सरकार की उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (PLI) योजना वित्त वर्ष 24 में तीसरे साल में प्रवेश कर रही है। सरकार के अनुमान के मुताबिक प्रोत्साहन योजना के तहत भुगतान की गई राशि इस वित्त वर्ष में तीन गुना होकर 8,083 करोड़ रुपये होने की उम्मीद है।
बुधवार को उद्योग संवर्धन एवं आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) ने कहा कि वित्त वर्ष 23 में भुगतान 2,874 करोड़ रुपये या 1.97 करोड़ रुपये की योजना का महज 1.4 प्रतिशत रहा है। यह योजना वित्त वर्ष 21 में भारत को विनिर्माण के केंद्र के रूप में शुरू की गई थी।
वित्त वर्ष 24 में करीब 80 प्रतिशत आवंटन फार्मास्यूटिकल्स, ड्रग इंटरमीडिएटरीज और एक्टिव फार्मास्यूटिकल इनग्रेडिएंट्स चिकित्सा उपकरणों, मोबाइल उपकरण सहित इलेक्ट्रॉनिक्स और खाद्य पर किया गया है।
पीएलआई के तहत बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रॉनिक्स के लिए वित्त वर्ष 24 में आवंटन बढ़कर 4,499 करोड़ हो गया है, जो वित्त वर्ष 23 के लिए आवंटित धन का का ढाई गुना है। उम्मीद की जा रही है कि ऐपल इंक उत्पादन मू्ल्य और स्मार्ट फोन का निर्यात बढ़ाएगा, जिसकी वजह से इस योजना के तहत भुगतान बढ़ेगा।
सरकार के अधिकारियों ने कहा कि वित्त वर्ष 24 पीएलआई के तहत तमाम कंपनियों के उत्पादन का पहला साल होगा और प्रोत्साहन के बड़े दावे वित्त वर्ष 25 में ही होंगे।
कुल 22.4 अरब डॉलर प्रोत्साहन में करीब आधा यानी 10.7 अरब डॉलर का भुगतान चार क्षेत्रों- सेल बैटरी, सौर पैनल, वाहन और वाहनों के कर पुर्जे और टेक्सटाइल क्षेत्र को होगा। वाहन और वाहनों के कल पुर्जों के लिए 604 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है।
क्रेडिट सुइस के अनुमान के मुताबिक वित्त वर्ष 24 में इन कंपनियो द्वारा 3.6 अरब डॉलर राजस्व सृजन बढ़ाए जाने की उम्मीद है, जो वित्त वर्ष 27 तक 8.7 अरब डॉलर प्रोत्साहन की पात्र होंगी। इसमें बड़ी लाभार्थी इलेक्ट्रिक दोपहिया व चार पहिया वाहन कंपनियां होंगी। इसी तरह वित्त वर्ष 25 में इलेक्ट्रिक वाहनों की बैटरियों के लिए18,000 करोड़ रुपये प्रोत्साहन राशि मिलने की संभावना है।
बजट दस्तावेज के मुताबिक फरवरी तक सभी 14 योजनाओं के तहत 717 आवेदनों को मंजूरी मिली है, जिससे कुल 2.74 लाख करोड़ रुपये निवेश आने की संभावना है।
पीएलआई योजना में प्रगति के बावजूद कुछ गंभीर चुनौतियां भी हैं। उदाहरण के लिए खासकर स्टील की पीएलआई योजना लागू किए जाने संबंधी चुनौतियो से गुजर रही है, जिसमें जमीन की उपलब्धता में देरी और ज्यादा पूंजीगत व्यय शामिल है। पहले चरण में टेक्सटाइल योजना में उद्योग ने ज्यादा रुचि नहीं ली। इसकी वजह से 10,683 करोड़ रुपये आवंटन में से 4,000 करोड़ रुपये बचे रह गए।
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में पूर्व प्रोफेसर और कारोबार विशेषज्ञ विश्वजीत धर ने कहा, ‘एक बड़ी समस्या यह है कि टेक्सटाइल जैसे श्रम आधारित क्षेत्र में प्रगति नहीं हुई।’
बैंक आफ बड़ौदा में मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि एक अन्य चुनौती यह है कि सरकार निवेश करने वाली कंपनियों का किस तरह मूल्यांकन करती है। अगले साल और उसके बाद स्पष्टता आएगी।
अब तक पीएलआई के तहत मोबाइल विनिर्माण की रफ्तार सबसे तेज रही है और इसका निर्यात बढ़ा है। मोबाइल निर्यात वित्त वर्ष 23 में 11 अरब डॉलर पार कर गया है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में 5.48 अरब डॉलर का निर्यात हुआ था।
आईटी हार्डवेयर जैसे लैपटॉप, टैबलेट, डेस्कटॉप और सर्वर आदि में ज्यादा निवेश नहीं आया है। सरकार ने 25,000 करोड़ रुपये निवेश का लक्ष्य रखा है, जबकि जून 2022 तक 123 करोड़ रुपये निवेश हुआ है।
पीडब्ल्यूसी इंडिया में चीफ डिजिटल ऑफिसर मनप्रीत सिंह आहूजा ने कहा कि स्मार्टफोन की श्रेणी में पीएलआई की सफलता की बड़ी वजह यह है कि इसकी घरेलू और वैश्विक मांग बढ़ी है।