सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को पूछा कि क्या वह एमेजॉन की उस याचिका के संबंध में कोई अंतरिम आदेश दे सकता है कि ‘बिग बाजार दुकानों’ समेत फ्यूचर रिटेल लिमिटेड (एफआरएल) की परिसंपत्तियों को तब तक अलग न किया जाए, जब तक कि मध्यस्थता न्यायाधिकरण द्वारा रिलायंस रिटेल के साथ उसके विलय पर विवाद का हल नहीं
हो जाता। प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण की अध्यक्षता वाले पीठ ने कहा कि एफआरएल की दुकानों के मालिक उसके समक्ष पेश नहीं हुए हैं और सवाल यह है कि क्या मध्यस्थता का फैसला आने तक परिसंपत्तियों को अलग करने से रोकने का ऐसा कोई आदेश पारित किया जा सकता है। पीठ ने अमेरिका की दिग्गज ई-कॉमर्स कंपनी की याचिका पर अगली सुनवाई के लिए 4 अप्रैल की तारीख निर्धारित की है।
पीठ ने कहा कि अगर किरायेदार या भू-स्वामी हमारे समक्ष नहीं हों, तो अदालत उन्हें कब्जा (दुकानों पर) लेने से रोकने वाला आदेश कैसे पारित कर सकती है। पीठ में न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी और न्यायमूर्ति हिमा कोहली भी शामिल हैं।
सुनवाई की शुरुआत में अमेरिकी कंपनी की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल सुब्रमण्यम ने कहा कि जहां तक मध्यस्थता कार्यवाही शुरू करने का सवाल है, तो एमेजॉन और फ्यूचर समूह के बीच कोई मतभेद नहीं है। सुब्रमण्यम ने कहा कि लेकिन परिसंपत्तियों का अचानक हस्तांतरण नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि एफआरएल की 800 से अधिक दुकानें खाली की जा चुकी हैं और रिलायंस समूह द्वारा लिया जा चुका है।
एफआरएल की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने कहा कि समूह के पास करीब 374 दुकानें हैं और वह उन्हें अपने आप तब तक किसी को नहीं देने जा रही, जब तक कुछ भू-स्वामी उन्हें बाहर नहीं कर देते।