सरकार ने तो सेनवैट कटौती की राहत दी और कीमतें घटाकर बिक्री बढ़ाने की जुगत भी वाहन कंपनियों ने भिड़ाई, लेकिन बिक्री को रफ्तार नहीं मिल सकी।
कार और दोपहिया बनाने वाली तमाम कंपनियों की दिसंबर में बिक्री उम्मीद के मुताबिक नहीं रही। होंडा सिएल कार्स इंडिया और यामाहा जैसी एकाध कंपनी को छोड़ दिया जाए, तो कमोबेश सभी कंपनियों के बिक्री के आंकड़े दिसंबर 2007 के मुकाबले पिछले महीने कम ही हो गए।
होंडा सिएल की कार बिक्री जरूर बढ़ गई। उसने पिछले महीने 3,667 कारें बेचीं, जबकि दिसंबर 2007 में कंपनी ने 3,363 कारें ही बेची थीं। लेकिन टाटा मोटर्स की बिक्री में तकरीबन 47.11 फीसदी की कमी आई और आंकड़ा केवल 25,219 वाहन हो गई।
कंपनी को घरेलू बाजार में भी नुकसान हुआ और विदेशी बाजार भी उसके लिए माफिक नहीं रहे। व्यावसायिक वाहनों की बिक्री पर भी मंदी का साफ असर दिसंबर के महीने में नजर आया।
कार और ट्रैक्टर बनाने वाली नामी कंपनी महिंद्रा ऐंड महिंद्रा भी दिसंबर में चित नजर आई।
हालांकि कंपनी के पास उत्पादों का अच्छा खासा जखीरा है, लेकिन विपरीत माहौल में कोई भी उसकी मदद नहीं कर सका। सेनवैट कटौती के बाद तमाम कंपनियों को उम्मीद थी कि कीमतें घटाने से ग्राहक शोरूम तक आ जाएंगे, लेकिन बिक्री के आंकड़े इस उम्मीद को ठेंगा दिखा रहे हैं।
दोपहिया बनाने वाली टीवीएस मोटर कंपनी और दूसरी तमाम वाहन कंपनियों को 2008 का अंत तो कम से कम रास आता नहीं दिखा।