सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के कारण उद्योगों के लिए पर्यावरण अनुकूल प्रौद्योगिकी विकसित करने के काम में मुश्किलें आने के बाद आगरा के एक लघु उद्यम ने बेहद किफायती प्रौद्योगिकी की तरफ रुख किया है।
गोवर्धन उद्योग एक ऐसी ही इकाई है जो पार्टिकल बोर्ड और औषधीय उत्पादों के निर्माण के लिए गैर-पारंपरिक कच्चे माल के रूप में गाय के गोबर का इस्तेमाल कर रही है। यह इकाई आगरा से लगभग 55 किलोमीटर दूर मथुरा रिफाइनरी के पास आगरा-दिल्ली हाईवे पर शुरू की गई है।
कंपनी के अधिकारियों ने बताया कि पार्टिकल बोर्ड के निर्माण में गोबर को कच्चे माल के तौर पर इस्तेमाल किया जाएगा। पार्टिकल बोर्ड के निर्माण में कच्चे माल के रूप में गोबर का इस्तेमाल करने वाली शायद यह पहली निर्माण इकाई होगी।
गोवर्धन उद्योग के प्रबंध निदेशक एसके मित्तल ने कहा कि प्लाईबोर्ड की तुलना में देश में पार्टिकल बोर्ड ऑफिस फर्नीचर के डिजाइन और ऑटोमेशन उत्पादों में एक लाभदायक विकल्प के तौर पर लोकप्रिय हो रहे हैं। हर साल इस उत्पाद की मांग 100,000 मेगा टन (एमटी) है।
हालांकि प्लाईबोर्ड के उत्पादन और मांग में नकारात्मक पर्यावरण असर के कारण तेज गिरावट आ रही है। प्लाईवुड निर्माण के लिए बड़ी मात्रा में ताजा लकड़ी और लकड़ी के कचरे की जरूरत होती है। 1997 में सर्वोच्च न्यायालय ने प्लाईवुड निर्माण के लिए पेड़ों की कटाई पर प्रतिबंध लगा दिया था।
गोवर्धन उद्योग गोबर से पार्टिकल बोर्ड के निर्माण के लिए स्थानीय रूप से विकसित प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करेगी। मित्तल ने कहा कि कंपनी सस्ते और पर्यावरण अनुकूल पार्टिकल बोर्ड के निर्माण में इस्तेमाल के लिए 2 रुपये प्रति किलोग्राम की कीमत से गोबर खरीद रही है।
इसी तरह घरेलू फिनाइल और अन्य औषधीय उत्पादों के निर्माण के लिए कंपनी गोमूत्र की खरीदारी 5 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से कर रही है। फिलहाल यह संयंत्र लगभग 2 एमटी गोबर की खपत कर रहा है और यहां 5,000 वर्ग फुट पार्टिकल बोर्ड रोजाना तैयार किया जा रहा है।
उम्मीद की जा रही है कि अगली तिमाही तक यह उत्पादन बढ़ कर 40,000 वर्ग फुट प्रति दिन पर पहुंच जाएगा और बाजार में मौजूद पारंपरिक उत्पादों की तुलना में ये उत्पाद काफी सस्ते भी होंगे। इन उत्पादों की रेंज में में बेहद मोटे पार्टिकल बोड्र्स शामिल हैं। इनकी मोटाई 2 एमएम से 40 एमएम के बीच है।
मित्तल ने कहा कि फिलहाल कंपनी ऑफिस ऑटोमेशन उत्पादों के निर्माण के लिए इन पार्टीकल बोर्ड की मार्केटिंग पर ध्यान केंद्रित कर रही है।
उन्होंने कहा कि कंपनी ने धूप, अगरबत्ती जैसे उत्पादों के निर्माण के लिए तीसरे संयंत्र की स्थापना की भी योजना बनाई है जिसके अगले वित्त वर्ष तक शुरू हो जाने की संभावना है।
कंपनी गाय के मूत्र से तैयार आयुर्वेदिक दवाइयों की थोक बिक्री के लिए एक प्रमुख आयुर्वेदिक दवा कंपनी के साथ बातचीत कर रही है। मित्तल के मुताबिक कंपनी इस व्यवसाय में नई कंपनी है और उत्पादों के निर्माण के लिए इस्तेमाल में लाया जाने वाला कच्चा माल थोड़ा गैर-पारंपरिक है।
एक विस्तृत विपणन रणनीति की योजना तैयार की गई है जिसमें एक पेशेवर विपणन एजेंसी की सेवा लिए जाने के अलावा इस क्षेत्र के बेरोजगार युवकों को रखा जाना भी शामिल है।