भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने अपने रुख में बड़ा बदलाव लाते हुए नए लाइसेंसधारकों के लिए तीन साल की निर्धारित अवधि से पहले ही हिस्सेदारी बेच सकने का प्रस्ताव रखा है।
उल्लेखनीय है कि हाल में दो नए लाइसेंसधारकों की ओर से अपनी हिस्सेदारी बेच देने के बाद ट्राई ने कोई परियोजना शुरू करने की शर्तें कड़ी कर दी थीं। लेकिन अब ट्राई चाहता है कि दूरसंचार कंपनियां अपने मुनाफे का 50 फीसदी सेवा विस्तार करने में लगाएं। इसलिए ट्राई पहले की कड़ी शर्तों में ढील देने का मन बना रहा है।
मामले से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, ट्राई चाहता है कि दूरसंचार कंपनियां अपने मुनाफे का शेष 50 फीसदी दूरसंचार विभाग के जिम्मे कर दें। इस योजना को क्रियान्वित करने के लिए ट्राई दूरसंचार और आर्थिक मामलों के विभागों से अनुमति मिलने का इंतजार कर रहा है। उसे उम्मीद है कि अप्रैल के पहले हफ्ते तक इन प्रस्तावों को दूरसंचार और वित्त मंत्रालयों की हरी झंडी मिल जाएगी।
ट्राई प्रस्ताव को सभी तरह की बिक्री पर लागू कराने के लिए कानून और वित्त मंत्रालयों के संपर्क में बना हुआ है। यदि ऐसा होता है तो हाल में लाइसेंस मिलने के तुरंत बाद अपनी हिस्सेदारी बेचने वाली कंपनियां जैसे यूनिटेक वायरलेस और स्वान टेलीकॉम इस फैसले से प्रभावित होंगी।
गौरतलब है कि यूनिटेक वायरलेस ने नॉर्वे की कंपनी टेलीनॉर के हाथों अपनी 60 फीसदी हिस्सेदारी 6,120 करोड़ रुपये में बेच दी थी। वहीं स्वान टेलीकॉम ने कंपनी की 45 फीसदी हिस्सेदारी 4,113 करोड़ रुपये में संयुक्त अरब अमीरात की एतिस्लात को बेच दी थी। इन दोनों कंपनियों में लाइसेंस के लिए केवल 1,651 करोड़ रुपये की राशि अदा की थी। इसके बाद दूरसंचार मंत्री ए. राजा ने नियम सख्त करने के आदेश दिए।
