टाटा स्टील ग्लोबल के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) और प्रबंध निदेशक (एमडी) टी वी नरेंद्रन (Tata Steel global CEO & MD T V Narendran) ने शनिवार को कहा कि इस्पात समेत मुश्किल क्षेत्रों में हरित संक्रमण के लिए कोई जादू नहीं है।
उन्होंने कहा कि यह एक जटिल चुनौती है और इसमें सरकार के सहयोग की जरूरत है। उद्योग जगत के अग्रणी लोगों का यह बयान उत्सर्जन को लेकर अर्थव्यवस्थाओं में बढ़ती चिंताओं और हरित ऊर्जा के उपयोग को बढ़ाने की जरूरत के बीच आया है।
बी-20 समिट इंडिया 2023 में एक सत्र को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि इस्पात दुनिया में सबसे अधिक इस्तेमाल की जाने वाली धातु है और कोई भी इसके बिना नहीं रह सकता। यहां तक कि परिवर्तन के लिए भी, चाहे सौर पैनलों, पवन चक्कियों, भंडारण और पाइपलाइनों को स्थापित करना हो, इस्पात की जरूरत होगी।
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उन्होंने कहा, “आपको एक समाधान ढूंढने की ज़रूरत है और इसका कोई जादू नहीं है…भारत अकेले ही हर दशक में 10-15 करोड़ टन इस्पात क्षमता जोड़ने जा रहा है…अगले कुछ दशकों तक आपके पास वृद्धि कर रहे ये मुश्किल क्षेत्र होंगे, विश्व स्तर पर सीमेंट उत्पादन इस्पात उत्पादन की तुलना में दोगुना है…आपको ऐसे समाधान ढूंढने की जरूरत है जो तकनीकी हों, जो केवल एक अन्य ऊर्जा स्रोत खोजने से हल नहीं होते हैं।”
नरेंद्रन उद्योग मंडल सीआईआई के विनिर्माण परिषद के चेयरमैन भी हैं। उन्होंने कहा कि इस्पात क्षेत्र में आपूर्ति श्रृंखला लगभग 100 साल से बनी है, तो कोयले से गैस से हाइड्रोजन में संक्रमण आपूर्ति श्रृंखला के नजरिये से भी बहुत मुश्किल चुनौती है।
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