कोविड-19 की दूसरी लहर आने और उसकी वजह से दफ्तर बंद होने के कारण को-वर्किंग कंपनियों के दफ्तर भी भले ही करीब-करीब खाली हो गए हैं। मगर कंपनियों से बातचीत के बाद को-वर्किंग स्पेस मुहैया कराने वाली कंपनियों को एक बड़ा और बुनियादी बदलाव नजर आ रहा है। उनके ग्राहकों की योजना है कि महामारी की दूसरी लहर थमने के बाद दफ्तरों की अपनी कुल जगह में फ्लेक्सिबल वर्कस्पेस का हिस्सा बढ़ाया जाए। इससे को-वर्किंग कंपनियों को भी नई मांग बढऩे की उम्मीद में अपनी विस्तार योजनाएं जारी रखने तथा वर्कस्पेस बढ़ाने के लिए सस्ते रियल्टी सौदे करने का हौसला मिला है।
पिछले साल जेएलएल इंडिया के एक अध्ययन के मुताबिक इस क्षेत्र की तीसरी सबसे बड़ी कंपनी ऑफिस के संस्थापक अमित रमानी कहते हैं, ‘दफ्तर के लिए रियल एस्टेट संभालने के कंपनियों के तरीके में हमें बुनियादी बदलाव दिख रहा है। वे फ्लेक्सिबल वर्कप्लेस यानी कार्यस्थल की हिस्सेदारी बढ़ाने की कोशिश कर रही हैं।’ रमानी ने कहा कि अभी दफ्तर इस्तेमाल करने वाली ज्यादातर कंपनियों ने कुल कार्यस्थल का 5 फीसदी हिस्सा को-वर्किंग स्पेस के लिए रखा है। लेकिन ग्राहकों के साथ जारी बातचीत से लग रहा है कि अगले 12 महीनों में यह हिस्सा बढ़कर 12 से 14 फीसदी हो जाएगा।
ऐसा कहने वाले रमानी इकलौते नहीं हैं। इस क्षेत्र की दूसरी सबसे बड़ी कंपनी स्मार्टवक्र्स को भी ग्राहकों की बातचीत में ऐसा ही लग रहा है। मुंबई की इस को-वर्किंग कंपनी के संस्थापक नीतीश सारदा का कहना है, ‘पूछताछ और बातचीत से हमें लग रहा है कि ये कंपनियां अपने करीब 50 फीसदी कर्मचारियों को फ्लेक्सिबल कार्यस्थलों में भेजने की सोच रही हैं, जबकि कोविड से पहले यह स्तर 20 फीसदी ही था।’
इसी वजह से ऑफिस अपना विस्तार कर रही है। यह अपनी सीट क्षमता 40,000 से बढ़ाकर 60,000 करने, अपने केंद्रों की संख्या 70 से बढ़ाकर 120 करने और तीन अन्य शहरों (फिलहाल 12 शहरों में मौजूद) में अपना कारोबार शुरू करने के लिए रियल एस्टेट सौदों पर बात कर रही है। रमानी स्वीकार करते हैं कि रियल एस्टेट के दाम 15 से 25 फीसदी घटे हैं, इसलिए यह खरीदारी का अच्छा मौका है। स्मार्टवक्र्स भी 2021 में अपनी सीटों की संख्या 75,000 से बढ़ाकर 1.10 लाख करने की योजना में कटौती नहीं कर रही है।
को-वर्किंग कंपनियों का कहना है कि उन्होंने भारत में कोविड की दूसरी लहर आने से पहले तक 2021 की पहली तिमाही में शानदार वृद्धि दर्ज की। उस समय इनके कार्यस्थलों में 70 फीसदी तक सीट भर गई थीं। ग्राहकों के साथ बातचीत के आधार पर उनका अनुमान है कि जुलाई से धीरे-धीरे दफ्तर खुलेंगे और उस समय इन कार्यस्थलों में 30 फीसदी तक सीट भर जाएंगी। मगर दूसरी लहर से पहले का स्तर इस साल की आखिरी तिमाही में ही हासिल हो पाएगा।
कंपनियां भी कार्यस्थलों के लिए नए मॉडलों पर विचार कर रही हैं। इनमें से एक डिस्ट्रीब्यूटेड ऑफिस नेटवर्क है। इसका मतलब है किसी एक शहर में एक हब ऐंड स्पोक मॉडल रखना। इसके तहत एक मुख्य कार्यालय के अलावा रिहायशी इलाकों में तीन-चार छोटे कार्यस्थल होंगे, जहां ज्यादातर कर्मचारी काम करेंगे। इससे यह सुनिश्चित होगा कि वे अपने घर के नजदीक के कार्यालय से काम कर सकते हैं, जिसमें कम जोखिम है।