सत्यम की साख मटियामेट करने की वजह बनीं कंपनियों मायटास इन्फ्रा और मायटास प्रॉपर्टीज भी अब शायद ज्यादा दिनों तक खैर नहीं मना पाएंगी।
सत्यम के संस्थापक और इन कंपनियों के प्रवर्तक बी रामलिंग राजू के इस्तीफे और वित्तीय धोखाधड़ी की बात उजागर होने के बाद इनका भविष्य भी अधर में लटक गया है। मायटास इन्फ्रा में राजू और उनके साथियों की 36 फीसदी हिस्सेदारी थी।
मायटास प्रॉपर्टीज में उनके परिजनों की 35 फीसदी हिस्सेदारी थी। सत्यम का जरूर यह कहना है कि मायटास पर इस घटनाक्रम का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। कंपनी के प्रवक्ता के मुताबिक इस घटनाक्रम का मायटास इन्फ्रा पर कोई असर नहीं होगा और उसका कारोबार पहले की तरह चलता रहेगा।
अलबत्ता विश्लेषक इस तर्क से कायल नहीं हो रहे हैं। उनके मुताबिक मौजूदा संकट में इस कंपनी की हालत खराब हो सकती है। इस कंपनी को हैदराबाद मेट्रो रेल की 12,000 करोड़ रुपये की परियोजना और दूसरी परियोजनाओं को पूरा करने के लिए कम से कम 1,200 करोड़ रुपये की जरूरत होगी।
लेकिन राजू के खुलासे के बाद अब इस कंपनी की विश्वसनीयता भी सवालों के घेरे में आ जाएगी और उसे कर्ज देने के लिए भी शायद ही कोई राजी हो।
मायटास पर इसका असर दिखने भी लगा है। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई एस राजशेखर रेड्डी पहले ही सत्यम मामले की सीबीसीआईडी जांच की बात कह चुके हैं।
उन्होंने मायटास की दोनों कंपनियों की पड़ताल के आदेश भी दे दिए हैं। मायटास सत्यम का ही प्रतिबिंब है। अंग्रेजी में सत्यम को यदि उलटा लिखें, तो मायटास बन जाएगा। इसलिए सत्यम में बवंडर का असर उन पर पड़ना भी लाजिमी है।