एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) द्वारा सैटेलाइट स्पेक्ट्रम मूल्य निर्धारण के लिए अपनी सिफारिशों पर रुख बदले जाने के आसार नहीं हैं, भले ही उसे सिफारिशों पर दूरसंचार विभाग (डीओटी) से प्रतिक्रिया का इंतजार है। अधिकारी ने कहा कि सैटेलाइट संचार के लिए निर्णायक मूल्य निर्धारण (जिसे ट्राई के सुझावों पर दूरसंचार विभाग की प्रतिक्रिया में शामिल किया जाएगा) को सरकार द्वारा जल्द ही जारी किए जाने की संभावना है।
ट्राई की सिफारिशों के तहत, सैटेलाइट संचार (सैटकॉम) प्रदाताओं को अपने समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) का 4 प्रतिशत भुगतान करना होगा, इसके अलावा 3,500 रुपये प्रति मेगाहर्ट्ज और 500 रुपये प्रति शहरी ग्राहक के हिसाब से वार्षिक शुल्क भी देना होगा। ईलॉन मस्क की स्टारलिंक, भारती समूह और यूटेलसैट समर्थित वनवेब और रिलायंस जियो का एसईएस के साथ संयुक्त उद्यम जियो सैटेलाइट कम्युनिकेशंस लिमिटेड 9 मई को ट्राई द्वारा प्रस्तावित प्रशासनिक मूल्य निर्धारण तंत्र पर सरकार के फैसले का इंतजार कर रहे हैं।
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विभाग ने मूल्य निर्धारण संबंधी सिफारिशों की घोषणा से कई दिन पहले 7 मई को स्टारलिंक को आशय पत्र जारी किया था। हालांकि परीक्षण सेवाओं के लिए ट्रायल स्पेक्ट्रम अभी तक आवंटित नहीं किया गया है। भारती एंटरप्राइजेज द्वारा समर्थित उपग्रह सेवा कंपनी वनवेब ने 2023 में यूटेलसैट के साथ अपने परिचालन का विलय कर दिया और 669 उपग्रहों के साथ दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी सैटेलाइट ऑपरेटर बन गई।
इस साल जुलाई में ब्रिटिश सरकार ने घोषणा की कि वह आरक्षित पूंजी वृद्धि (आरसीआई) के माध्यम से यूटेलसैट में 16.3 करोड़ यूरो का निवेश करेगी, जिससे फ्रांसीसी उपग्रह सेवा प्रदाता द्वारा जुटाई जाने वाली कुल राशि बढ़कर 1.5 अरब यूरो हो जाएगी। भारती स्पेस ने तब कहा था कि वह अपनी निवेश प्रतिबद्धता को बढ़ाकर 15 करोड़ यूरो कर देगी।
अब तक तीन आवेदकों में से केवल वनवेब और जियो सैटेलाइट कम्युनिकेशंस को ही ट्रायल स्पेक्ट्रम मिला है। पिछले साल दी गई इन अनुमतियों को इस साल भी बढ़ा दिया गया है। उद्योग के एक अधिकारी ने पहले कहा था कि मस्क समर्थित स्टारलिंक ने अभी तक भारत में अपने लैंडिंग स्टेशन के लोकेशन की पहचान नहीं की है और जरूरी उपकरण हासिल करने के बाद ही उसे ट्रायल स्पेक्ट्रम के लिए मंजूरी मिलने की संभावना है।