मद्रास उच्च न्यायालय ने सुभिक्षा मामले में प्रोविजनल लिक्विडेटर (पीएल) की नियुक्ति पर स्थगन आदेश जारी किया है।
न्यायालय का यह निर्णय तब आया है, जब नकदी संकट से जूझ रही रिटेल कंपनी सुभिक्षा टे्रडिंग सर्विसेज ने पीएल की नियुक्ति को स्थगित करने का आग्रह किया था। इसमें कहा गया था कि इस नियुक्ति से कॉर्पोरेट ऋण पुरर्संरचना की प्रक्रिया पर असर पड़ेगा।
न्यायालय ने चेन्नई की इस रिटेल कंपनी को यह आदेश दिया है कि वे 20 मई या उससे पहले तक सारे खातों को जमा करें। अगर कंपनी ऐसा नहीं कर पाती है, तो पीएल की नियुक्ति अपने आप हो जाएगी।
मालूम हो कि सुभिक्षा ने 31 मार्च 2009 तक पीएल की नियुक्ति के खिलाफ मद्रास उच्च न्यायालय में एक अपील दायर की थी। लेकिन न्यायालय ने पीएल नियुक्ति स्थगित करने की बात खारिज कर दी थी।
हालांकि न्यायालय ने कंपनी को वित्तीय रिकॉर्ड जमा कराने के लिए 27 अप्रैल 2009 तक की अवधि मुकर्रर की थी। उसी मामले की सुनवाई में न्यायालय ने सोमवार को उक्त फैसला दिया। इस मामले में अगली सुनवाई 12 जून को संभावित है।
पीएल की नियुक्ति का मामला तब तूल पकड़ चुका था, जब सुभिक्षा में 40 करोड़ रुपये की कार्यशील पूंजी लगा चुके कोटक महिंद्रा बैंक ने कंपनी के खिलाफ एक याचिका दायर की थी। बैंक ने न्यायालय से यह आग्रह किया था कि कंपनी कानून की धारा 450 के तहत पीएल की नियुक्ति की जाए। बैंक सुभिक्षा को लेकर सत्यम जैसी अनियमितता का संदेह भी जाहिर कर चुका है।
