वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के विनिवेश की दिशा में अब तक हुई प्रगति की समीक्षा की। कोविड-19 की मौजूदा तीसरी लहर ने इसकी सूचीबद्घता को लेकर चिंता बढ़ा दी है। यह देश का सबसे बड़ा आईपीओ साबित हो सकता है।
यह बैठक निवेश एवं सार्वजनिक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम), वित्त सेवा विभाग (डीएफएस), भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (आईआरडीएआई) और एलआईसी के अधिकारियों के साथ की गई।
बीमाकर्ता इसी महीने भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) को ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (डीआरएचपी) सौंपने पर विचार कर रहा है जो कि इसे चालू वित्त वर्ष में ही सूचीबद्घ कराने की सरकार की योजना के अनुरूप है। डीआरएचपी में एलआईसी के अंतर्निहित मूल्य (ईवी) का भी उल्लेख किया जाएगा। सरकार की तरफ से नियुक्त बीमांकक मिलिमन एडवाइजर्स ने भी सरकार को ईवी का एक मसौदा सौंपा है और वह जल्द एलआईसी का अंतिम अंतर्निहित मूल्य साझा करेगी।
वित्त मंत्रालय और एलआईसी ने हाल ही में पॉलिसीधारकों को बीमाकर्ता की वितरण योग्य अतिरिक्त रकम में चरणबद्घ तरीके से कमी लाने को मंजूरी दी है। अगले वित्त वर्ष से एलआईसी पॉलिसीधारकों को अपनी अतिरिक्त रकम में से 92.5 फीसदी का वितरण करेगी जबकि फिलहाल 95 फीसदी रकम का वितरण किया जाता है। इसे धीरे धीरे घटाकर उद्योग के लिए निर्धारित 90 फीसदी के स्तर पर लाया जाएगा। सरकार सहित शेयरधारकों का हिस्सा धीरे धीरे बढ़कर मौजूदा 5 फीसदी से 10 फीसदी पर जाएगा।
सरकार सार्वजनिक निर्गम का एक हिस्सा एलआईसी के कर्मचारियों और पॉलिसीधारकों के लिए भी आरक्षित करेगी। केंद्र ने एलआईसी के आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) में 10 फीसदी आवंटन पॉलिसीधारकों के लिए आरक्षित रखा है। बीमाकर्ता ने पॉलिसीधारकों के लिए एक विज्ञापन अभियान भी शुरू किया है। इसमें पॉलिसीधारकों से कहा जा रहा है कि वे देश के सबसे बड़े बीमाकर्ता का शेयरधारक बनने के लिए एलआईसी के पास अपनी व्यक्तिगत जानकारी का अद्यतन करें और सूचीबद्घता में हिस्सा लेने के लिए अपनी डीमेट खाता खुलवाएं।