सत्यम की बोली लगाने वाली कंपनी स्पाइस ग्रुप के बी. के. मोदी ने जब बोली प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल उठाया, तो सरकार द्वारा गठित सत्यम बोर्ड की भी नींद खुली।
सत्यम की बोली प्रक्रिया में पारदर्शिता के मुद्दे पर बोर्ड ने शुक्रवार को बैठक की। अब जबकि बोली की प्रक्रिया अप्रैल तक चलने वाली है, उस स्थिति में इसकी पारदर्शिता पर बोलीकर्ता कंपनियों द्वारा उठाए गए सवाल से सबके कान खड़े हो गए हैं।
अगर स्पाइस ग्रुप की ही बात करें, तो वह फर्जीवाड़े में फंसी सत्यम की बोली प्रक्रिया के दूसरे चरण में प्रवेश कर गई है। लेकिन पारदर्शिता को मुद्दा बनाकर बोली प्रक्रिया से बाहर हो जाने की बात कह कर स्पाइस ने खलबली मचा दी।
कंपनी ने यहां तक कहा कि न तो उसे बोली में भाग लेने वाली कंपनियों के बारे में पता है और न ही इस बाबत अभी तक कंपनी की ओर से कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया गया है। सूत्रों के मुताबिक बोली लगाने वाली दूसरी कंपनियां भी प्रक्रिया से जुड़ी सूचनाएं जानने की इच्छा जता रहीं हैं। इसके अलावा ये कंपनियां सत्यम की वास्तविक कीमत का भी आकलन कर रही है।
वास्तव में बोली के बाद छांटी गई कंपनियों की टीम सत्यम के मुख्यालय पर डेरा डाल चुकी हैं और वे वित्तीय बोली प्रक्रिया के लिए आवश्यक दस्तावेज और अन्य महत्वपूर्ण जानकारियों को इकट्ठा करने में जुटी हैं। सूत्र ने बिानेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘बोली लगाने वाली कंपनियों और बोर्ड सदस्यों के बीच इस बाबत एक बैठक भी हुई है।’
हालांकि सत्यम के ग्लोबल हेड (मार्केटिंग और कम्युनिकेशन) हरि तल्लापल्ली ने इस तरह की किसी बैठक से इनकार किया। उन्होंने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि इस तरह की कोई बैठक बोर्ड सदस्यों और बोली लगाने वाली कंपनियों के बीच हुई है।’ बोली प्रक्रिया में अपारदर्शिता की बात सुनकर कंपनियों ने अपने मानव संसाधन, वित्त और कानूनी विभाग की टीम सत्यम भेजने लगे हैं।
