गत चार महीने से सालाना आधार पर प्रीमियम में आ रही कमी के बाद, जीवन बीमा कंपनियां आखिरकार इस मुश्किल से बाहर आ गई हैं। जीवन बीमाकर्ताओं के नए कारोबारी प्रीमियम (एनबीपी) में जुलाई में 6.86 फीसदी की उछाल आई। इस वर्ष जुलाई महीने में एनबीपी 22,986 करोड़ रुपये रहा जबकि पिछले वर्ष के समान महीने में यह 21,509 करोड़ रुपये रहा था। एनबीपी में यह उछाल मोटे तौर पर निजी बीमाकर्ताओं के प्रदर्शन से आई है।
कुल 23 निजी बीमाकर्ताओं ने जुलाई में 7,815 करोड़ रुपये का एनबीपी हासिल किया जो पिछले वर्ष की समान अवधि में हासिल किए गए 6,197 करोड़ रुपये के मुकाबले 26 फीसदी अधिक है। सरकारी क्षेत्र की दिग्गज कंपनी जीवन बीमा निगम अभी भी संकट में पड़ी है। इसे जुलाई 2020 में प्राप्त हुआ 15,170.95 करोड़ रुपये का एनबीपी 15,311.87 करोड़ के मुकाबले 0.92 फीसदी कम है। एनबीपी किसी वर्ष में नई पॉलिसियों से हासिल प्रीमियम होता है। जीवन बीमाकर्ताओं को अपने एनबीपी में अप्रैल और मई में क्रमश: 32.6 फीसदी और 25.4 फीसदी की कमी का सामना करना पड़ा था। और जून में जीवन बीमाकर्ताओं के एनबीपी में 10.5 फीसदी की कमी आई थी।
वहीं, जुलाई में जीवन बीमा क्षेत्र के एनबीपी में सकारात्मक वृद्धि हुई है हालांकि, अप्रैल से जुलाई की अवधि में प्रीमियम पिछले वर्ष की समान अवधि में 82,146.5 करोड़ रुपये के मुकाबले 12 फीसदी घटकर 72,321 करोड़ रुपये रह गई। इसी तरह से,अप्रैल से जुलाई के दौरान निजी बीमाकर्ताओं के एनबीपी में पिछले वर्ष की समान अवधि के मुकाबले 6.44 फीसदी की कमी आई। यह 22,039.81 करोड़ रुपये से घटकर 20,620.56 करोड़ रुपये रह गई।
एलआईसी में भी उसी तरह का रुझान सामने आया है और उसे हासिल हुई प्रीमिमय 82,146.46 करोड़ रुपये से 14 फीसदी घटकर 72,321.53 करोड़ रुपये रह गई।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस क्षेत्र में वृद्धि संभावित तौर पर दूसरी या तीसरी तिमाही में लौट सकती है और वितरण माध्यमों में महत्वपूर्ण फेरबदल सामने आ सकता है। इस क्षेत्र में व्यक्तिगत एजेंटों और बैंक आश्वासन की कीमत पर बीमा की डिजिटल बिक्री बढ़ रही है।
