आर्थिक गतिविधियों में सुस्ती के कारण पिछले साल इन दिनों खुदरा ऋण में दबाव दिखना शुरू हो गया था। वैश्विक महामारी और लॉकडाउन ने उस दबाव को कहीं अधिक बढ़ा दिया है। ऐसे में सितंबर तिमाही (दूसरी तिमाही) के दौरान देश के प्रमुख खुदरा ऋणदाताओं- एचडीएफसी बैंक, बजाज फाइनैंस और एसबीआई कार्ड- के वित्तीय नतीजों पर उसका असर दिख सकता है।
एचडीएफसी बैंक की खुदरा वृद्धि दर सालाना आधार पर 5.3 फीसदी रही जो पिछले एक दशक का सबसे निचला स्तर है। इसी प्रकार बैंक के कुल कारोबार में खुदरा ऋण की हिस्सेदारी 46.7 फीसदी रही। पर्सनल लोन और क्रेडिट कार्ड को छोड़कर खुदरा ऋण की वृद्धि दर कहीं अधिक सुस्त रही है। एचडीएफसी बैंक के कारोबार में असुरक्षित ऋण की अधिक हिस्सेदारी (खुदरा ऋण खाते का 16 फीसदी) एक जोखिम है। जबकि वाहन एवं आवास ऋण जैसी सुरक्षित श्रेणियों में वृद्धि की रफ्तार सुस्त पड़ रही है। बजाज फाइनैंस के मामले में 60 दिनों से अधिक के ओवरड््यू लोन (60 डीपीडी) के पूल में तेज एवं अभूतपूर्व वृद्धि चिंता की बात है। कंपनी के कुल ऋण कारोबार में 65 फीसदी से अधिक की हिस्सेदारी रखने वाली उपभोक्ता (थोक एवं खुदरा) और वाहन ऋण श्रेणियों में 60 डीपीडी अनुपात 1.2-1.5 फीसदी (वाहन ऋण में 10 फीसदी) से बढ़कर 7-25 फीसदी हो गया।
एसबीआई काड्र्स के लिए दूसरी तिमाही कहीं अधिक खतरनाक रही जहां सकल एनपीए अनुपात 4.3 फीसदी रहा जो पहली तिमाही के 1.4 फीसदी के मुकाबले काफी अधिक है। कार्ड जारी करने के आंकड़ों से पता चलता है कि वर्तमान परिस्थिति में ऋणदाता वृद्धि के मोर्चे पर काफी सावधानी बरतना पसंद करेंगे। हालांकि रणनीति के तौर पर विवेकपूर्ण नजरिये का इस्तेमाल किया जा रहा है लेकिन वृद्धि की रफ्तार सुस्त पडऩे से कुल मिलाकर परिसंपत्ति की गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है। क्रेडिट सुइस के विश्लेषकों ने दूसरी तिमाही के वित्तीय नतीजों के शुरुआती आकलन के आधार पर खुदरा ऋण में निजी बैंकों के लिए 5-10 फीसदी और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के लिए 9-12 फीसदी के चूक की भविष्यवाणी की है।
क्रेडिट सुइस के विश्लेषकों ने लिखा है, ‘दूसरी रिपोर्ट के लिए श्रेणी स्तर पर चूक के शुरुआती खुलासे से उपभोक्ता ऋण में व्यापक बदलाव का संकेत मिलता है जो क्रेडिट कार्ड एवं दोपहिया वाहन श्रेणियों में क्रमश: 17 फीसदी एवं 21 फीसदी, माइक्रोफाइनैंस एवं ट्रैक्टर श्रेणी में 10 से 11 फीसदी, वाणिज्यिक वाहन श्रेणी में 10 फीसदी और व्यावसायिक बैंकिंग एवं एलएपी (संपत्ति के एवज में ऋण) में 3 से 7 फीसदी हो सकता है।’
